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किन्नरों के साथ "सरकारी मज़ाक", ट्रांसजेंडर के कल्याण और पुनर्वास के लिए बजट में सिर्फ ₹1000 - MP Budget for transgenders allocates only 1000 rupees

एमपी में ट्रांसजेंडर के कल्याण और पुनर्वास के लिए बजट में सिर्फ एक हजार रुपये का प्रावधान किया गया है. पूरे मध्य प्रदेश में हैं 30,000 से ज्यादा किन्नर. (MP Budget for transgenders)

MP Budget for transgenders allocates only 1000 rupees for the welfare and rehabilitation
ट्रांसजेंडर के कल्याण और पुनर्वास के लिए बजट में सिर्फ एक हजार रुपये का प्रावधान

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Published : Feb 6, 2022, 7:34 AM IST

भोपाल।किन्नरों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बड़ी-बड़ी बातें करती हैं. इनको मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद भी देखी जा रही है, लेकिन जब मध्य प्रदेश सरकार ने बजट दिया तो सिर्फ एक हजार रुपये ही दिए.

ट्रांसजेंडर के कल्याण और पुनर्वास के लिए बजट में सिर्फ एक हजार रुपये का प्रावधान

सिर्फ 22 किन्नरों के पहचान पत्र जारी किये गये
मध्य प्रदेश सरकार के दावे सिर्फ किताबी नजर आते हैं. सामाजिक न्याय विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन में अभी तक मध्य प्रदेश में सिर्फ 22 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान पत्र जारी किए गए हैं. विभाग की तरफ से दावा किया गया है कि इस अधिनियम के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए ग्राम सभा में इस एजेंडा को शामिल किया गया है.

सिर्फ 22 किन्नरों के पहचान पत्र जारी किये गये

प्रदेश में 30,000 से ज्यादा ट्रांसजेंडर
पिछले साल अटल बिहारी सुशासन संस्थान ने नीति बनाकर सामाजिक न्याय विभाग को भेजी है, जिसमें बताया गया है कि 30,000 से ज्यादा किन्नर पूरे मध्य प्रदेश में हैं. उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास करने होंगे, लेकिन हकीकत सामने आने पर साफ हो गया कि सरकार ट्रांसजेंडर के लिए कितनी संजीदा है.

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ट्रांसजेंडर को लेकर राज्य सरकार ने की थी ये घोषणाएं

  • ट्रांसजेंडर को सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ दिलाने, शैक्षणिक, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य योजनाओं, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्व रोजगार योजनाओं की समीक्षा की जाएगी.
  • सरकारी और निजी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, कब्रिस्तानों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर ट्रांसजेंडर्स के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
  • ट्रांसजेंडर के लिए हाॅस्पिटल्स में अलग से वार्ड और कार्यालयों में अलग से शौचालय बनाए जाएंगे. इसके लिए दो साल की समय सीमा तय की गई है.
  • ट्रांसजेंडर को एजुकेट करने, ट्रेनिंग दिलाने, उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे.
  • ट्रांसजेंडर के लिए चिकित्सा शिक्षा हेतु पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाएगा.
  • ट्रांसजेंडर के लिए काॅलेज-स्कूलों में संवेदनशीलता के लिए समानता और लैंगिक विविधता के लिए शैक्षणिक पाठ्यकम में बदलाव किया जाएगा
  • स्कूल काॅलेज में पढ़ने वाले छात्रों को प्रताड़ित न किया जा सके, इसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.

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एमपी से हैं देश की पहली किन्नर विधायक
मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां विधायक के रुप में पहली बार किन्नर शबनम मौसी चुनी गईं. 1998 में ट्रांसजेंडर को मतदान का अधिकार दिया गया, इसके 4 साल बाद ही शहडोल जिले के सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से शबनम मौसी चुनाव लड़ीं और जीत गईं. इसके बाद इस समुदाय के कई लोगों ने राजनीति में हाथ आजमाया और सफल भी हुए.
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