मदर्स डेः 'मां' वह शब्द हैं जिससे दुनिया के हर इंसान का सबसे खास, सबसे प्यारा रिश्ता होता है. और मां का प्यार वह ईंधन मानों, जो एक सामान्य इंसान को असंभव काम करने में सक्षम बनाता है जिससे उसकी गाड़ी सफलता की पटरी पर दौड़ने लगती है. मां के लिए इस प्यार को दिवस के रूप में भी मनाया जाने लगा है. मई महीने में दूसरे हफ्ते के रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है.
8 मई को मदर्स डे:मां पल-पल जितने बलिदान अपने बच्चें के लिए देती है उसका शुक्रिया करने लिए एक दिन तो क्या बल्कि पूरी उम्र कम है, लेकिन फिर भी एक खास दिन को मां के नाम कर दिया गया है. इस साल यह खास दिन 8 मई को मनाया जा रहा है. यह दिवस लोगों को अपनी मां के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार करने का मौका देता है. ज्यादातर देशों में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. लेकिन कई देशों में इस खास दिन को अलग-अलग तारीखों पर भी मनाया जाता है.
कैसे मनाया जाता है यह दिन:मदर्स डे को लेकर कई मान्यताएं हैं. कुछ का मानना है कि मदर्स डे के इस खास दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई थी. वर्जिनिया में एना जार्विस (Anna Maria Jarvis) नाम की महिला ने मदर्स डे की शुरुआत की. कहा जाता है कि एना अपनी मां से बहुत प्यार करती थी और उनसे बहुत प्रेरित थी. उन्होंने न कभी शादी की और न कोई बच्चा था. मां के निधन के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की. फिर धीरे-धीरे कई देशों में मदर्स डे मनाया जाने लगा. ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को वर्जिन मेरी के दिन के रूप में भी मानते हैं. बता दें, इसके अलावा यूरोप और ब्रिटेन में भी मां को सम्मानित करने के लिए तमाम प्रथाएं प्रचलित है जिसके तहत किसी खास रविवार को मदरिंग संडे के रूप में मनाया जाता है.
ग्रीस से हुई थी मदर्स डे की शुरुआत:इससे जुड़ी एक और कहानी है जिसके अनुसार, मदर्स डे की शुरुआत ग्रीस से हुई थी. ग्रीस के लोग अपनी मां का बहुत सम्मान करते हैं. इसलिए वो इस दिन उनकी पूजा करते थे. मान्यताओं के अनुसार, स्यबेसे ग्रीक देवताओं की माता थीं और मदर्स डे पर लोग उनकी पूजा करते थे. मां का सभी के जीवन में योगदान अतुलनीय है. फिर चाहे ऑफिस और घर दोनों जगह में संतुलन क्यों ना बनाना पड़ा हो, मां ने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा है. दुनिया में हर रिश्ते का कोई दूजा विकल्प हो सकता है लेकिन मां का नहीं. उसकी जगह ना आजतक किसी ने ली थी ना भविष्य में ही कोई ले पाएगा, यहां तक कि खुदा भी नहीं. कहते है खुदा ने भी मां को इसलिए बनाया क्योंकि वह खुद हर जगह अपनी मौजूदगी कायम नहीं रख सकता.
बता दें, इस दिन को औपचारिक मान्यता तब मिली जब 9 मई 1914 को अमेरिकी राष्ट्रपति व्रुडो विल्सन ने एक कानून पारित किया, जिसमें लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा. इसी के बाद से चीन, भारत समेत कई देशों में ये खास दिन मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा.