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लॉकडाउन से लड़खड़ाई मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, मजदूरों का विश्वास जीतना बड़ी चुनौती - मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री भोपाल

कोरोना वायरस की वजह से पूरा देश मानों थम गया है. 21 दिन का लॉकडाउन 14 अप्रैल को पूरा होगा. लेकिन जिस तरह से कोरोना संक्रमण बढ़ा, उससे लॉकडाउन भी आगे बढ़ाया जा सकता है. बड़ा सवाल ये है कि 21 दिन के लॉकडाउन से पहले ही देश के उद्योग जगत की गतिविधियों पर भारी असर पड़ा, मजदूरों पर निर्भर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री बंद है. जिससे मजदूरों ने अपने घर का रुख कर लिया. जिससे लॉकडाउन खुलने के बाद भी मजदूरों की वापसी संभव नजर नहीं आती.

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कैसे लौटेगी अर्थव्यवस्था, कैसे जीतेंगे भरोसा

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Published : Apr 13, 2020, 9:22 PM IST

Updated : Apr 13, 2020, 10:47 PM IST

भोपाल। कोरोना महामारी के चलते पूरा देश मानो थम गया है, कोरोना संक्रमण रोकने के लिए देशभर में 21 दिन का लॉक डाउन कल खत्म हो जाएगा. लेकिन इस बीच उद्योग जगत की गतिविधियों पर भारी असर पड़ा है. मजदूरों पर निर्भर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री तो पूरी तरह से ठप पड़ गई है. अचानक हुए लॉक डाउन के कारण जिस तरह मजदूरों ने अपने घर का रुख किया है, उसको देख कर लगता है कि उनकी वापसी जल्द संभव नजर नहीं आती. संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

कैसे लौटेगी अर्थव्यवस्था, कैसे जीतेंगे भरोसा

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से खिलौने, फर्नीचर, बिल्डर, हार्डवेयर, फुटवियर, कपड़े, एफएमसीजी उत्पाद, गिफ्ट का सामान, घड़ी मोबाइल, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली के सामान, चिकित्सा और सर्जिकल उपकरण, फार्मास्यूटिकल,आयरन और स्टील के उत्पादों पर काफी असर पड़ा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि कोरोना को लेकर किया गया लॉक डाउन कब तक रहता है. इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. बड़ा सवाल यह है कि लॉक डाउन खुलने के बाद भी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री तुरंत पटरी पर आ जाए, यह भी कहना मुश्किल है. क्योंकि मजदूरों पर निर्भर इस इंडस्ट्री को पटरी पर लाने के लिए जहां मजदूरों का विश्वास जीतना होगा.

बंद पड़ी है फैक्ट्रियां

आर्थिक और व्यवसाय के जानकार शशिकांत त्रिवेदी कहते हैं कि मध्य प्रदेश में अभी जो हालात हैं. ऐसी स्थिति में मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री का शुरू होना और उसके पटरी पर आने में बहुत समय लगेगा. क्योंकि कोरोना महामारी है, इसका भी कोई भरोसा नहीं है कि सरकारी मशीनरी कंट्रोल कर पाएगी. सबसे दुखद बात तो यह है कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के लोग ही बीमार हो रहे हैं, जिससे प्रदेश स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी असर पड़ा है. शशिकांत द्विवेदी कहते हैं कि दूसरा पहलू यह है कि उद्योग को फिर से पटरी पर लाना, मजदूरों का विश्वास जगाना, उनका वापस आना और उनकी नौकरी को सुरक्षा देना. यह बड़ी चुनौती होगी.

नहीं पेश हो पाया मध्य प्रदेश का बजट

मध्यप्रदेश का बजट भी पेश नहीं हुआ है. राज्य सरकार कैसे अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशनर्स को पेंशन देगी, यह भी बहुत मुश्किल है और अपने खुद के खर्चे कैसे चलाएगी यह सरकार के सामने बड़ी कठिन चुनौती है. मुझे नहीं लगता है कि सरकार इंडस्ट्री को कोई पैकेज देगी. इन परिस्थितियों में सिर्फ हम उम्मीद कर सकते हैं कि सब कुछ अच्छा होगा. हो सकता है कि सब जल्दी ठीक हो जाए, लोग घरों में रहे हैं और लॉक डाउन का पालन करें. तो कोरोना वायरस की चेन टूट जाए, तो सब कुछ सामान्य हो सकता है. लेकिन हम सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं.

कांग्रेस ने कहा बिगड़ सकते हैं प्रदेश के हालात

कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि मध्य प्रदेश और देश की जो विशेष परिस्थिति है. उसके कारण उद्योग जगत विशेषकर एमएसएमई सेक्टर पूरी तरह बैठ चुका है. गरीब लोग, जो इसमें मजदूरी करते थे, वह सड़क पर आ चुके हैं. इस समय इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के पास ना मजदूरी है और ना कोई काम है और ना वह अपना जीवन यापन कर पा रहे हैं, आने वाले समय में हमें भूख की चुनौती से लड़ना पड़ेगा. मानसिक स्वास्थ्य और जर्जर आर्थिक गतिविधियां हमारे सामने बड़ी चुनौती होंगी. जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

बीजेपी ने कहा मजदूरों को नहीं होगी परेशानी

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि भले ही प्रदेश में कोरोना से हालात खराब हुए है. लेकिन प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर तेजी से काम कर रही है, जबकि प्रदेश के मजदूर का भी ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर मजदूर प्रदेश से बाहर नहीं गया है. जिससे मजदूरों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और जल्द ही सब कुछ पटरी पर आएगा.

Last Updated : Apr 13, 2020, 10:47 PM IST

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