भोपाल। भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट बनाए जाने की कई हिस्सों से मांग उठ रही है, गुरुग्राम में तो धरना प्रदर्शन भी हुआ है. मध्य प्रदेश से भी अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग उठने लगी है और इसके अगुआ बने हैं कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव. अरुण यादव ने यदुवंशियों के साहस और शौर्य का जिक्र करते हुए ट्वीट कर लिखा है- "वीर अहीरो ने ठाना है अहीर रेजिमेंट बनाना है, वीर थे रणधीर थे वो यदुवंशी धारा के नीर थे, कैसे पीछे हटते वो तो अहीर थे".
'अहीर रेजिमेंट हक है हमारा': यादव ने अपने ट्वीट में शहादत को याद करते हुए अहीर रेजीमेंट को इस वर्ग का हक बताते हुए लिखा, "रेजांग ला के अदम्य वीरता और साहस के पर्याय वीर शहीदों को नमन करते हुए उनकी याद में भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग करता हूं. अहीर-रेजिमेंट-हक-है-हमारा".
एमपी में OBC का बड़ा चेहरा हैं अरुण यादव, 2023-24 की तैयारी : मध्य प्रदेश की सियासत में अरुण यादव बड़ा ओबीसी चेहरा हैं. उनके पिता राज्य के उप मुख्यमंत्री के साथ किसान और सहकारिता नेता के तौर पर पहचाने जाते रहे. इसके साथ ही उनके छोटे भाई सचिन यादव कांग्रेस सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं. उधर, राजनीतिक गलियारे में लोग इसे प्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव से जोड़ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के हाथ ये ऐसा मुद्दा लगा है जिससे वो केंद्र और राज्य दोनों में अपनी सियासत साधने के जगत में जुट गई है. यही वजह है कि अरुण यादव को कांग्रेस इस मुद्दे पर आगे कर रही है.
अहीर रेजिमेंट पर राजनीति-2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर जाति-आधारित अहीर इन्फैंट्री रेजिमेंट बनाने का वादा किया था. साथ ही, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनी चमार रेजिमेंट की दोबारा बहाली की मांग भी की थी. जाति आधारित रेजिमेंट न केवल राजनीतिक एजेंडा था बल्कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी इस कदम का समर्थन किया था. आयोग ने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को चमार रेजिमेंट की बहाली के लिए पत्र भी लिखा था.
23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के शहीदी दिवस पर इस धरने में देशभर से बड़ी संख्या में अहीर समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और गुरुग्राम तक मार्च निकाला. अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर लोगों ने जमकर शक्ति प्रदर्शन किया.
कौन कर रहा है अहीर रेजिमेंट की मांग- दक्षिण हरियाणा के अहीर समुदाय के नेताओं के समूह 'संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा' के बैनर तले ये विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मोर्चे को मार्च 2021 में एक ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था. मोर्चा के सदस्यों ने 2018 में भी विरोध प्रदर्शन किया था. बाद में कुछ नेताओं के आश्वासन के बाद ये धरना खत्म कर दिया गया था. हरियाणा में यादव यानी अहीर समुदाय काफी प्रभावी है. यहां अहीरवाल इलाके जिसमें रेवाड़ी, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ जिले आते हैं, ये समुदाय राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी असरदार है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे अहीर रेजिमेंट मोर्चा का कहना है कि भारतीय सेना में कई जाति-आधारित रेजिमेंट हैं. सेना में अहीरों का बड़ा प्रतिनिधित्व है. इसी आधार पर वो भी अहीरों के लिए एक अलग रेजिमेंट चाहते हैं.