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राजधानी में बढ़ रहा कोरोना का कहर, प्रशासन ने कम लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा

राजधानी भोपाल में संक्रमण के बढ़ने के साथ ही प्रशासन बिना लक्षण वाले संक्रमित लोगों को उनके घरों में ही होम आइसोलेट कर रहा है, वहीं डॉक्टर रोज उनका वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हालचाल जानते हैं.

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होम आइसोलेशन

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Published : Aug 11, 2020, 1:25 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 3:38 PM IST

भोपाल।देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना के पॉजिटिव मरीजों के अनुपात में अस्पतालों में बेड़ और स्वास्थ्य सुविधाएं कम हो रही हैं, जिसे देखते हुए सरकारें और प्रशासन कम अथवा बिना लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रख इलाज कर रहे हैं. राजधानी भोपाल में भी पहले तो ज्यादातर मरीजों को कोविड-19 केयर सेंटर में भर्ती करके ही उनका इलाज किया जा रहा था, लेकिन संक्रमण के बढ़ने के साथ ही प्रशासन बिना लक्षण वाले संक्रमित लोगों को उनके घरों में ही होम आइसोलेट करना शुरू कर दिया है.

राजधानी में बढ़ रहा कोरोना का कहर

60 प्रतिशत बेड़ हुए फुल
जुलाई महीने में जब राजधानी में संक्रमण बढ़ने लगा तो करीब 700 मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया था, फिर धीरे-धीरे इसे कम किया गया. लेकिन अब अगस्त में जब फिर मामले बढ़ने लगे तो एक बार फिर से मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा जाने लगा है. बता दें कि राजधानी भोपाल में अभी करीब 85 कोरोना संक्रमित मरीज होम आइसोलेशन में हैं. वहीं शहर के 7 अस्पतालों के 2 हजार में मरीजों को लक्षणों के आधार पर बांटकर इलाज किया जा रहा है, जहां करीब 60 प्रतिशत बेड़ भर चुके हैं.

प्रशासन कर रहा मॉनिटरिंग
राजधानी भोपाल में होम आइसोलेशन में रह रहे संक्रमितों ने इलाज के बारे में जानकारी देते हुए कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की मॉनिटरिंग भी नियमित तौर पर की जा रही है. डॉक्टर कंट्रोल रूम से सभी होम आइसोलेट मरीजों को वीडियो कॉल पर संपर्क करते हैं और जरूरी जानकारी लेते हैं. यदि डॉक्टर को लगता है कि किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है तो उस हिसाब से कदम उठाया जाता है.

डॉक्टर पहुंच रहे मरीजों के घर
होम आइसोलेट मरीजों को आमतौर पर आइसोलेशन किट भी दी जाती है जिसमें मास्क, सैनिटाइजर और जरूरी दवाएं होती हैं. लेकिन भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि होम आइसोलेट मरीज को किट दी जाए. ऐसे मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि वह अपने शरीर के तापमान मापन करते रहें. कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि यदि मरीज के पास थर्मामीटर है तो वह खुद चेक करके नियमित तौर पर डॉक्टर को बताता है और यदि नहीं है तो डॉक्टर खुद मरीज के घर जाकर उसकी जांच करते हैं.

राजधानी भोपाल में संक्रमितों की संख्या की बात करें तो 10 अगस्त तक पॉजिटिव मरीजों की संख्या 7770 हो गई है, जबकि 220 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं भोपाल में अब तक 5,556 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, जिसके बाद 1994 कोरोना पॉजिटिव मरीज अभी भी एक्टिव हैं.

सैंपल टेस्टिंग क्षमता में बढ़ोत्तरी

टेस्टिंग की क्षमता को लेकर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि हमने न केवल राजधानी भोपाल बल्कि प्रदेश के हर जिलों में टेस्टिंग की व्यवस्था को बढ़ाया है.प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग हर दिन 20 हजार टेस्ट करने के लिए सक्षम है. भोपाल समेत पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी भी इसलिए देखने को मिल रही है, क्योंकि अब ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं.पहले सुविधा कम थी तो कम टेस्ट हो रहे थे.

ये भी पढ़ें - प्रदेश में टेस्टिंग बढ़ाकर कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने की तैयारी, इन संस्थानों को मिली जिम्मेदारी

भोपाल में रोजाना औसतन 1 हजार से ज्यादा टेस्ट

बता दें कि जीएमसी के वायरोलॉजी लैब में टेस्टिंग के लिए नई मशीनों को लगाया गया है. जिसके चलते टेस्ट की संख्या 400 से बढ़कर 900 टेस्ट प्रतिदिन हो गई है. यही एम्स का भी है, यहां पहले 250 से 300 सैंपल टेस्ट होते थे, पर अब एक हजार से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं.

सरकारी के साथ प्राइेवट संस्थाओं को भी दी जिम्मेदारी

भोपाल में इन दो सरकारी संस्थानों के अलावा राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) इन सरकारी संस्थानों में भी अब सैंपल टेस्टिंग का काम किया जा रहा है. साथ ही 3 निजी संस्थान बंसल हॉस्पिटल, जेके हॉस्पिटल और चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी कोरोना वायरस के सैंपल की टेस्टिंग को अनुमति दी गई है.

पिछले 7 दिनों में हुए करीब 8 हजार टेस्ट

अगर पिछले 7 दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 15 जुलाई से लेकर 21 जुलाई तक करीब 8 हजार 371 सेैंपल टेस्ट किए गए हैं, यानी कि रोजाना 1000 से 1200 औसतन टेस्ट शहर की लैब में किए जा रहे हैं.बता दें कि कोरोना वायरस की शुरुआत से ही विशेषज्ञ कहते आए हैं कि जितनी ज्यादा टेस्टिंग की जाएगी उतनी जल्दी संक्रमण के मामले सामने आएंगे. इस प्रक्रिया से ही कोरोना वायरस संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है.

Last Updated : Aug 11, 2020, 3:38 PM IST

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