भोपाल। शिवराज मंत्रिमंडल की बैठक सोमवार को मंत्रालय से कई किलोमीटर दूर सीहोर के एक आलीशान रिसोर्ट में हुई. कहा गया कि यह बैठक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते कदम और जन हितैषी योजनाओं को कैसे जनता तक ले जाएं, इस पर चिंतन मंथन के लिये इस जगह को चुना गया था. इस बात पर अब कांग्रेस की तरफ से सवाल खड़े किए गए हैं.
शिवराज मंत्रिमंडल की बैठक पर सवाल कांग्रेस नेता सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि करोड़ों की लागत से नया बल्लभ भवन बनाया गया है, जो कि किसी कॉरपोरेट ऑफिस से कम नहीं है. आखिर लाखों रुपए फूंक कर सीहोर के एक आलीशान होटल में ये ब्रेनस्टॉर्मिंग बैठक के क्या मायने हैं. अभी खजाने की हालत भी उतनी अच्छी नहीं है और फिलहाल यह और यह फिजूलखर्ची जनता के समझ से परे है.
कांग्रेस ने पूछा, क्या गुपचुप तरीके से कोई बड़ा खेल खेला गया
कांग्रेस पूछ रही है कि क्या पिछली कैबिनेट बैठक के अंदर के कमीशन व हिस्से के बंटवारे को लेकर हुए झगड़े सामने आने के कारण इस बैठक को भोपाल से दूर रखा गया था. क्या आज भी गुपचुप तरीके से कोई बड़ा खेल खेला गया. इस तरह के कई सवाल कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने सरकार से दागे.
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कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि एक तरफ कोरोना महामारी का संकट और उसका डर खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में बेहतर होता कि यह मीटिंग वर्चुअल तरीके से की होती. उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार की ये बैठक लाखों रुपए खर्च कर पिकनिक की तरह थी. कांग्रेस ने हमला बोलते हुए कहा कि इस कैबिनेट बैठक में होने वाले लाखों रुपए के खर्च को बचाकर सरकार प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में लगा सकती थी.
"खरीद-फरोख्त का सारा हिसाब चुकता"
कांग्रेस ने इस बैठक के पीछे का मकसद भी बता दिया. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि यह रिसॉर्ट तालाब के किनारे नियम विरुद्ध कई निर्माण किए गए, उसमें बीजेपी के एक पूर्व मंत्री का बड़ा निवेश लगा हुआ है. कांग्रेस सरकार के तख्तापलट के समय विधायकों को यही ठहराया गया था, जिसका बड़ा भुगतान अब तक बाकी है और बताया जा रहा है कि इस बैठक की आड़ में सरकारी जमा खर्च से बकाया खरीद-फरोख्त का सारा हिसाब चुकता कर दिया जाएगा.
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नरेंद्र सलूजा ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री परिषद सदस्य के साथ जो चर्चा की क्या ये वल्लभ भवन में नहीं हो सकती थीं. चाहे वह वन ग्राम के रहवासियों को राजस्व ग्रामों जैसी सुविधाएं देना, पिछड़ा वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के संबंध में समस्याओं का निराकरण, शासकीय सेवकों को पदोन्नति देने के संबंध में रास्ता निकालना, अर्थव्यवस्था के लिए राजस्व वृद्धि और राजस्व आय के उपाय और आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के रोड मैप लागू करने के लिए क्या भोपाल में इन बिन्दुओ पर चर्चा नहीं हो सकती थी.