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लॉक डाउन से ठप हुआ CAB बिजनेस, मालिकों का धंधा चौपट, ड्राइवर रोजी-रोटी को परेशान - भोपाल में लॉक डाउन

कोरोना के चलते देशभर में किए गए 21 दिन के लॉकडाउन से देश की रफ्तार थम गई. जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ा रह है. इस लॉक डाउन से केब और टैक्सी चलाने वाले भी अब परेशान नजर आ रहे है. बुकिंग न होने से कैब खड़ी जिससे धीरे-धीरे घर की गाड़ी रफ्तार भी अब कम होनी शुरु हो गई है.

BHOPAL NEWS
कैब डाउन, राशन बंद

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Published : Apr 8, 2020, 8:51 PM IST

भोपाल। 21 दिन का लॉक डाउन का असर अब दिखना शुरु हो गया है, जिसका सीधा असर परिवहन व्यवसाय पर पड़ा है, खासकर टैक्सी और कैब के जरिए जीवन यापन करने वाले व्यवसायी और ड्राइवर वर्ग खासा प्रभावित हुआ है, गर्मियों के सीजन में कैब और टैक्सी की अच्छी बुकिंग होती थी. लेकिन इस बार सब डाउन पड़ा है. जिससे टैक्सी चलाने वाले ड्राइवरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

लॉक डाउन से ठप्प हुआ CAB बिजनेस

टैक्सी और कैब संचालकों के लिहाज से गर्मी का सीजन व्यवसाय का सबसे अच्छा सीजन होता है. इस वक्त जहां शादियों की भरमार होती है तो बच्चों की छुट्टियां होने के कारण लोग घूमने भी बाहर जाते थे. जिससे अच्छी कमाई होती थी. लेकिन लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी है. खुद की गाड़ी चलाने वाले लोग लॉकडाउन में काफी परेशान हैं. कर्ज लेकर गाड़ी खरीदी थी, तो अब सूझ नहीं रहा है कि उसका कर्ज कैसे भरेंगे और जो कुछ पैसा जमा किया था, वो लॉकडाउन के समय खाने-पीने में खर्च हो गया है.

कैब बंद होने रोजगार का संकट

पूरा धंधा हुआ चौपट

ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले सौरभ गुप्ता बताते हैं कि अभी जब से लॉक डाउन हुआ है, पूरी तरह से धंधा चौपट हो गया. उनकी करीब 10 गाड़ियां हैं, पिछले 5 साल से ये काम कर रहा हूं. इतनी खराब स्थिति मैंने कभी नहीं देखी है सभी गाड़ियां खड़ी हैं धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया. अभी गर्मियों की छुट्टियां होने के कारण हमारा व्यवसाय काफी चलता था. 4 महीने में हम इतना कमा लेते थे कि 8 महीने हमें ज्यादा काम नहीं करना पड़ता था. लेकिन लॉकडाउन होने के कारण समझ नहीं आ रहा है कि अब क्या करें.

कैब डाउन, राशन बंद

टैक्सी में चली गई जमा पूंजी, अब खाने के लाले

अपनी जमा पूंजी से टैक्सी खरीद कर चलाने वाले मोहम्मद रफी के कहते है कि 2 महीने पहले गाड़ी खरीदी थी. लॉकडाउन के कारण खाने के लाले पड़ रहे हैं, खाने के लिए कुछ भी नहीं है, कोई मदद नहीं मिल रही. जो पैसा था सब गाड़ी में लगा दिया ताकि कमाई का जरिया निकले. लेकिन लॉकडाउन से सब बंद है. गाड़ी भी खड़ी है. लॉकडाउन खुलेगा, तो किस्त वाले आएंगे और नहीं भर पाएंगे, तो गाड़ी खींच ले जाएंगे. हमारा पैसा भी चला जाएगा, मजदूरी करके पैसा जोड़ा था और गाड़ी खरीदी थी. वो पैसा भी गया और गाड़ी भी जाएंगी. ना कोई सरकार से मदद मिल रही है, कहते सब है, लेकिन मदद करने कोई नहीं आता है.

टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करने वाले राघवेंद्र विश्वकर्मा बताते हैं कि अब परेशानी भोग रहे हैं, लेकिन कर भी क्या सकते हैं. गाड़ी ना चलने से सब परेशान हैं. जब काम चलता था, तो 10 हजार 12 हजार रूपये कमा लेते थे. लेकिन अब स्थिति खराब है. हम लोग क्या कर सकते हैं, बीमारी तो दूर होना चाहिए. सरकार ने घर चलाने के लिए मदद का बोला था. लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं आई.

इन लोगों की बातें सुनकर यही कहा जा सकता है कि लॉकडाउन इनके लिए बड़ी समस्या लेकर आया है. अब जब तक लॉकडाउन नहीं खुल जाता, तब तक इनकी परेशानियां खत्म नहीं होंगी. टैक्सी पर ब्रेक लगने से रोजमर्रा की परेशानियां बढ़ गई हैं. यानि लॉक डाउन बढ़ा, तो आने वाला वक्त और भी परेशान करने वाला होगा.

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