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Shivraj met Nirmala Sitharaman मुख्यमंत्री ने क्यों मांगा वित्त मंत्री से कर्ज, कौन से फार्मूले से मध्यप्रदेश को हर साल मिलेंगे 15 हजार करोड़

शिवराज सरकार बाजार से अतिरिक्त कर्ज लेने की तैयारी में है. इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. उन्होंने मंत्री से कहा कि जीएसडीपी के 1.5 फीसदी का अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी जाए. इधर अतिरिक्त कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने की मांग पर कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा शिवराज सरकार इवेंट मैनेजमेंट कर अपनों को मालामाल कर रही है और जनता को कंगाल. CM Shivraj met Nirmala Sitharaman, Shivraj Government Will Take loan

Shivraj met Nirmala Sitharaman
कर्ज लेगी शिवराज सरकार

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Published : Sep 2, 2022, 9:01 AM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से 15 हजार करोड़ का कर्ज लेने की इजाजत मांगी है. अभी तक मध्यप्रदेश अपने सकल घरेलु उत्पाद के अनुपात में चार प्रतिशत ऋण ले सकती है. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से इसकी सीमा बढ़ाने की मांग की है. अगर राज्य सरकार को साढ़े पांच प्रतिशत की सीमा की अनुमति मिल जाती हैं, तो केंद्र से विकास और अन्य कामों के लिए 15 हजार करोड़ का कर्ज हर साल मिल सकेगा. CM Shivraj met Nirmala Sitharaman

मप्र सरकार पर 2 लाख 95 हजार करोड़ का कर्ज:आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य सरकार 15 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है. इसके साथ ही मध्यप्रदेश पर कुल कर्ज बढ़कर 2 लाख 94 हजार करोड़ हो गया है. खास बात यह है कि प्रदेश सरकार पर उसके बजट से ज्यादा कर्जा है. 2010 -11 मे कर्ज के ब्याज के भुगतान पर कुल बजट का 8.50 फीसदी खर्च होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 12.72 फीसदी तक पहुंच गया है. सरकार वेतन-भत्तों, पेंशन और कर्ज के ब्याज पर 2011-12 में जहां बजट का 41.07 फीसदी खर्च करती थी. वह 2021-22 में बढ़कर 51.90 फीसदी पहुंच गया है. मतलब बजट का आधा हिस्सा इन तीन मदों में खर्च हो जाता है.
सरकार पर पेंशन का बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. साल 2021-22 में सरकार ने 16913.43 करोड़ की राशि का पेंशन के रूप में भुगतान किया है.

11 सालों में ऐसे बढ़ता गया कर्ज

  • साल 2011-12 में सरकार वेतन-भत्तों पर 22.86 फीसदी खर्च करती थी, जो 2021-22 में बढ़कर 28.93 फीसदी हो गया है.
  • साल 2011-12 में पेंशन पर सरकार 9.71 फीसदी खर्च करती थी,जो 2021-22 में बढ़कर 10.27 फीसदी हो गया है.
  • कर्ज के ब्याज के भुगतान पर कुल बजट का 8.50 फीसदी खर्च होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 12.72 फीसदी तक पहुंच गया है.
  • सरकार वेतन-भत्तों, पेंशन और कर्ज के ब्याज पर 2011-12 में जहां बजट का 41.07 फीसदी खर्च करती थी, वह 2021-22 में बढ़कर 51.90 फीसदी पहुंच गया है. मतलब बजट का आधा हिस्सा इन तीन मदों में खर्च हो जाता है.
  • सरकार पर पेंशन का बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है, साल 2021-22 में सरकार ने 16,913.43 करोड़ की राशि का पेंशन के रूप में भुगतान किया है.

राजस्व घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है

  • वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजस्व घाटे का 17 हजार 514 करोड़ का अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह बढ़कर 21 हजार 375 करोड रुपए पहुंच गया.
  • इसके पहले 2019-20 में भी सरकार ने 2697 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया था, जबकि यह 2800 करोड़ पहुंच गया था.
  • सरकार पर इसके मूल और ब्याज की राशि बढ़ाने का दवाब भी बढ़ रहा है. पिछले 5 साल में ही सरकार पर करीब एक लाख करोड़ का कर्जा बढ़ गया है.

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क्यों बढ़ रहा है कर्ज
मुफ्त राशन: प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अब 8 करोड़ 50 लाख से ज्यादा प्रदेश की आबादी हो गई है. इसमें से औसत 5.60 करोड़ की आबादी को सरकार सस्ता अनाज उपलब्ध कराती है. इसमें ज्यादातर अनाज मुफ्त भी हैं. मुफ्त जैसे ही दाम पर करोसिन, नमक, शक्कर और दाल तक सरकार देती है.

गरीबों और किसानों को बिजली पर सब्सिडी:सरकार 1 करोड़ 40 लाख बिजली उपभोक्ता में से 90 लाख को सस्ती बिजली सब्सिडी के जरिए देती है. करीब 22 हजार करोड़ रुपए सालाना सब्सिडी पर खर्च होते हैं. इस साल 6000 करोड़ की बिजली बिल माफ की गई है

शिक्षा:मेधावी विद्यार्थियों को पूरी शिक्षा मुफ्त मिलेगी. फिर चाहे वह आईआईटी में पढ़े या फिर विदेश जाकर कोर्स करें. पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त पढ़ाई शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत है. वहीं बाकी शिक्षा भी राज्य सरकार फ्री देती है. 12 वीं पास छात्र को लैपटॉप सहित स्कूल से लेकर पीजी तक स्कॉलरशिप सरकार देती है.

स्वास्थ्य सेवाएं:सरकार आयुष्मान कार्ड के जरिये मुफ्त इलाज देती है. इसके अलावा मुफ्त दवाइयां और हजारों करोड़ का बिना लिमिट के खर्च किया जाता है.

वित्तीय प्रबंधन अच्छा उदाहरण पेश कर रहा MP:मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण से मुलाकात की. उन्होंने केंद्रीय मंत्री के सामने यह तर्क रखा कि हमारा सकल घरेलू उत्पादन बढ़ रहा है. लिहाजा अभी जो कर्ज लेने के लिए लिमिट है उसे बढ़ाकर 5:30 प्रतिशत कर दिया जाए. क्योंकि मध्य प्रदेश वित्तीय प्रबंधन में अच्छा उदाहरण पेश कर रहा है.

कांग्रेस ने साधा निशाना:वहीं कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने भाजपा पर तंज किया है. उनका कहना है की बीजेपी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की जनता कर्जदार हो रही है. शिवराज सरकार तो इवेंट मैनेजमेंट कर खुद के कार्यकर्ताओं और अपनों को मालामाल कर रही है और जनता को कंगाल. अर्थशास्त्र के जानकार एके शास्त्री कहते हैं कोई भी सरकार वोट बैंक के लिए मुफ्त रेवड़ी बांटती है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की इससे हर नागरिक कर्जदार हो रहा है. उन्होंने कहा मुफ्त की घोषणाओं पर कड़ा कानून बनना चाहिए.

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