भोपाल।मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से 15 हजार करोड़ का कर्ज लेने की इजाजत मांगी है. अभी तक मध्यप्रदेश अपने सकल घरेलु उत्पाद के अनुपात में चार प्रतिशत ऋण ले सकती है. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से इसकी सीमा बढ़ाने की मांग की है. अगर राज्य सरकार को साढ़े पांच प्रतिशत की सीमा की अनुमति मिल जाती हैं, तो केंद्र से विकास और अन्य कामों के लिए 15 हजार करोड़ का कर्ज हर साल मिल सकेगा. CM Shivraj met Nirmala Sitharaman
मप्र सरकार पर 2 लाख 95 हजार करोड़ का कर्ज:आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य सरकार 15 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है. इसके साथ ही मध्यप्रदेश पर कुल कर्ज बढ़कर 2 लाख 94 हजार करोड़ हो गया है. खास बात यह है कि प्रदेश सरकार पर उसके बजट से ज्यादा कर्जा है. 2010 -11 मे कर्ज के ब्याज के भुगतान पर कुल बजट का 8.50 फीसदी खर्च होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 12.72 फीसदी तक पहुंच गया है. सरकार वेतन-भत्तों, पेंशन और कर्ज के ब्याज पर 2011-12 में जहां बजट का 41.07 फीसदी खर्च करती थी. वह 2021-22 में बढ़कर 51.90 फीसदी पहुंच गया है. मतलब बजट का आधा हिस्सा इन तीन मदों में खर्च हो जाता है.
सरकार पर पेंशन का बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. साल 2021-22 में सरकार ने 16913.43 करोड़ की राशि का पेंशन के रूप में भुगतान किया है.
11 सालों में ऐसे बढ़ता गया कर्ज
- साल 2011-12 में सरकार वेतन-भत्तों पर 22.86 फीसदी खर्च करती थी, जो 2021-22 में बढ़कर 28.93 फीसदी हो गया है.
- साल 2011-12 में पेंशन पर सरकार 9.71 फीसदी खर्च करती थी,जो 2021-22 में बढ़कर 10.27 फीसदी हो गया है.
- कर्ज के ब्याज के भुगतान पर कुल बजट का 8.50 फीसदी खर्च होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 12.72 फीसदी तक पहुंच गया है.
- सरकार वेतन-भत्तों, पेंशन और कर्ज के ब्याज पर 2011-12 में जहां बजट का 41.07 फीसदी खर्च करती थी, वह 2021-22 में बढ़कर 51.90 फीसदी पहुंच गया है. मतलब बजट का आधा हिस्सा इन तीन मदों में खर्च हो जाता है.
- सरकार पर पेंशन का बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है, साल 2021-22 में सरकार ने 16,913.43 करोड़ की राशि का पेंशन के रूप में भुगतान किया है.
राजस्व घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजस्व घाटे का 17 हजार 514 करोड़ का अनुमान लगाया गया था, लेकिन यह बढ़कर 21 हजार 375 करोड रुपए पहुंच गया.
- इसके पहले 2019-20 में भी सरकार ने 2697 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया था, जबकि यह 2800 करोड़ पहुंच गया था.
- सरकार पर इसके मूल और ब्याज की राशि बढ़ाने का दवाब भी बढ़ रहा है. पिछले 5 साल में ही सरकार पर करीब एक लाख करोड़ का कर्जा बढ़ गया है.
कर्ज में डूबी मध्य प्रदेश सरकार, एक बार फिर लेने जा रही एक हजार करोड़ का लोन
क्यों बढ़ रहा है कर्ज
मुफ्त राशन: प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अब 8 करोड़ 50 लाख से ज्यादा प्रदेश की आबादी हो गई है. इसमें से औसत 5.60 करोड़ की आबादी को सरकार सस्ता अनाज उपलब्ध कराती है. इसमें ज्यादातर अनाज मुफ्त भी हैं. मुफ्त जैसे ही दाम पर करोसिन, नमक, शक्कर और दाल तक सरकार देती है.