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सिंगरौली: 10 साल से दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर रिलायंस कोल माइंस के विस्थापित

सिंगरौली के मुहेर गांव के लोगों का कहना है कि वे कई बार रिलायंस कोल माइन्स के अधिकारियों और नेताओं के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें गुमराह किया जा रहा है.

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Published : Mar 17, 2019, 11:54 PM IST

सिंगरौली: 10 साल से दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर रिलायंस कोल माइंस के विस्थापित

सिंगरौली। प्रदेश की ऊर्जा राजधानी कही जाने वाली सिंगरौली के मुहेर गांव के लोग बीते 10 साल से परेशान हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि देश की बड़ी कंपनियों में शुमार रिलायंस कोल माइन्स पुनर्वास नीतियों का पालन नहीं कर रही है. इस वजह से उन्हें और उनके बच्चों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है.

सिंगरौली: 10 साल से दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर रिलायंस कोल माइंस के विस्थापित

ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार रिलायंस कोल माइन्स के अधिकारियों और नेताओं के चक्कर लगा चुके हैं. उन्हें कंपनी की तरफ से भरोसा दिलाया जाता है कि उनका काम किया जा रहा है, लेकिन आज तक उन्हें काम के नाम पर सिर्फ गुमराह किया गया. शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भी अधिकारियों ने नौकरी देने का आश्वासन दिया, लेकिन वे आज तक दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.

इस पूरे मामले पर क्षेत्रीय बीजेपी विधायक राम लल्लू वैश्य बीजेपी सरकार में 50 फीसदी लोगों को नौकरी दी जाने की बात कहकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं तो वहीं अपर कलेक्टर रिजु बाफना का कहना है कि विस्थापितों से संबंधित मामलों की जांच कर जरूरी कार्रवाई की जाएगी. इस बारे में जब सत्ताधारी कांग्रेस के नेता ज्ञान सिंह से बात की गई तो उनका जवाब था कि एक साल में सभी विस्थापितों की समस्या का हल हो जाएगा. बहरहाल, अधिकारी और सरकारें बदलने पर भी कोल माइन्स की वजह से विस्थापित ग्रामीणों को आश्वासन के सिवा अब तक कुछ भी नहीं मिल सका है.

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