रीवा। रीवा और शहडोल सम्भाग के 71 महाविद्यालयों की उदासीनता के चलते दो दर्जन कॉलेजों की जिओ टैगिंग नहीं हुई हैं. अतिरिक्त संचालक सतेंद्र शर्मा का कहना है कि चुनाव के कारण प्रोफसरों की उपलब्धता की कमी के चलते कॉलेजों की भौगोलिक जानकारी को अब तक फीड नहीं किया जा सका है.
कॉलेजों का नहीं हो पा रही जियो टैग मैपिंग उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार सभी सरकारी महाविद्यालयों की जियो टैग मैपिंग करने के लिए योजना तैयार की गई है. इस योजना के अंतर्गत पहले चरण में सरकारी कॉलेजों की जियो टैगिंग की जाएगी. क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक कार्यालय और महाविद्यालय प्राचार्य के उदासीनता के कारण जियो टैगिंग का कार्य आगे नहीं बढ़ सका. जिसके बाद उच्च अधिकारी ने योजना की समीक्षा की, लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी यह संभव नहीं हो सका.
जिओ टैंगिग के जरिए महाविद्यालय की भौगोलिक जानकारी को फोटो मैप और वीडियो के माध्यम से दर्शाया जाता है. अक्षांश और देशांतर को फीड किया जाता है. दूसरी तरह की जानकारियां भी जगह और क्षेत्र के अनुसार दर्शायी जाती हैं. इसके जरिये कोई भी महाविद्यालयों के स्थान का पता लिखने के लिए एकदम सटीक जानकारी हासिल कर सकता है. सभी शासकीय कॉलेजों के जुड़ जाने के बाद संभाग के हर एक निजी कॉलेजों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा.
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दूरदराज क्षेत्रों में मौजूद कॉलेजों को ढूंढ़ने में मुश्किल नहीं आएगी. हालांकि उच्च शिक्षा विभाग के बनाए गए इस ऐप में कॉलेज के प्राचार्य जानकारी नहीं भर पा रहे हैं. यही वजह है कि 3 महीने बाद भी संभाग के दो दर्जन कॉलेज अभी तक जिओ टैगिंग से नहीं जुड़ पाए हैं. वहीं अतिरिक्त संचालक सतेंद्र शर्मा ने बताया कि चुनाव के कारण कुछ कार्य प्रभावित होने से जिओ टैंगिग का कार्य नहीं हो पाया है. लेकिन जल्द ही सभी महाविद्यालयों को निर्देशित कर ये काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा.