झारखंड

jharkhand

कोर्ट फीस बढ़ाने के मामले में सरकार नहीं दे पाई झारखंड हाई कोर्ट में जबाव, 23 अगस्त को अब अगली सुनवाई

By

Published : Aug 18, 2022, 6:54 PM IST

Jharkhand High Court में कोर्ट फीस बढ़ोतरी मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया जा सका. सरकार ने कोर्ट से समय की मांग की है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी.

Government could not answer in Jharkhand High Court in court fee case
कोर्ट फीस बढ़ाने के मामले में सरकार नहीं दे पाई झारखंड हाई कोर्ट में जबाव

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन (Chief Justice of Jharkhand High Court Dr Ravi Ranjan) और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में गुरुवार को कोर्ट फीस से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई. लेकिन अदालत में सरकार की ओर से जबाव नहीं दिया गया. इससे अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी. बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 अगस्त को होने वाली थी. लेकिन किसी कारणवश गुरुवार को सुनवाई हुई है.

यह भी पढ़ेंःकोर्ट फीस बढ़ाने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा जवाब

झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ओर से कोर्ट फीस बढ़ाने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है. इस मामले में 12 अगस्त को सुनवाई हुई थी तो कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने का आदेश दिया है. लेकिन गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत से समय की मांग की गई. कोर्ट को बताया गया कि महाधिवक्ता राजीव रंजन अभी रांची से बाहर है. इसके बाद कोर्ट ने मामले में हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. वह इस मामले में कोर्ट की सहायता करेंगे.

अधिवक्ता और जनविरोधी बताते हुए झारखंड स्टेट बार काउंसिल (Jharkhand State Bar Council) की ओर से दायर याचिका में कोर्ट फीस वृद्धि को हटाने की गुहार लगायी गयी है. हाई कोर्ट के खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में सरकार के अपर महाधिवक्ता को निर्देश दिया था कि वह कोर्ट फीस वृद्धि पर सरकार से मंतव्य लेकर कोर्ट को अवगत कराये. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पायेंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय खर्च बढ़ जाएगा. काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस में बढ़ोतरी गलत है. यह संविधान के खिलाफ है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details