रांची: असम की तर्ज पर झारखंड में भी एनआरसी लागू करने को लेकर राज्य सरकार पिछले वर्ष पहल कर चुकी है. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इस पर अभी कोई आदेश नहीं आया है. ऐसे में असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन की अंतिम लिस्ट जारी होने के बाद झारखंड राज्य पर सभी की निगाहें थमी है. इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने कहा है कि मोदी सरकार मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए ऐसे मुद्दे को सामने लाती है, जबकि बीजेपी का कहना है कि देश में घुसपैठ का हर जगह पार्टी विरोध करेगी, चाहे वह झारखंड ही क्यों ना हो.
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सही मापदंड होना जरूरी
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि बीजेपी की मनसा वोट की राजनीति करने की रही है. यही वजह है कि गंभीर मुद्दों को छोड़ सरकार लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है. इसलिए एनआरसी जैसे मुद्दे को सामने लाया गया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि इस देश की नागरिकता जिनके पास नहीं है उसके खिलाफ कांग्रेस भी है, लेकिन यह तय करने के लिए सही मापदंड होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल को पहले विपक्ष को विश्वास में लेकर निर्णय लेना चाहिए ना कि निर्णय को थोपा जाना चाहिए.
बीजेपी का इरादा है नेक
वहीं, सत्तारूढ़ बीजेपी ने साफ कर दिया है कि किसी भी हाल में देश में घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रदेश बीजेपी के महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा है कि झारखंड में भी अगर घुसपैठ होगी तो उसका विरोध पुरजोर तरीके से किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि असम का संघर्ष लंबा था. लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार की वजह से सही निर्णय लिया है. जो स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने कहा कि बीजेपी का इरादा हमेशा से नेक रहा है और देश में घुसपैठ के खिलाफ पार्टी आवाज उठाएगी.
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बता दें कि असम में एनआरसी की अंतिम लिस्ट जारी करने के बाद 40 लाख से ज्यादा लोग को अवैध माना गया है. जिससे कई लोग बेघर हो जाएंगे. ऐसे में झारखंड की रघुवर सरकार ने वर्ष 2018 में एनसीआर लागू कराने के लिए पहल की थी और गृह विभाग ने भारत सरकार को पत्र भी भेजा. लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
संथाल परगना में हैं घुसपैठिए
सरकार के रिपोर्ट के अनुसार संथाल परगना के साहिबगंज और पाकुड़ जिले में सबसे ज्यादा घुसपैठिए हैं. संथाल परगना के 4 जिले पाकुड़, जामताड़ा, साहिबगंज और गोड्डा में घुसपैठ के सबसे अधिक मामले आये हैं. साहिबगंज, राजमहल और बरहरवा इलाके में इनकी संख्या सबसे अधिक है. जिसमें बांग्लादेशी अधिकतर राजमिस्त्री का काम करते हैं, जो बंगाल और झारखंड में अपनी पैठ बना चुके हैं.