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खेती को अलविदा कह चुके किसान दोबारा कर रहे किसानी, इस योजना का मिल रहा लाभ

जंगली जानवरों के डर से खेती से पलायन कर लेना बीते समय की बात हो गई है. विशेष रुप से प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना इस दिशा में काफी कारगर सिद्ध हो रही है. सरकार की ओर से कृषकों के विकास के लिए हरसंभव कोशिशें की जा रही हैं

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Published : Feb 17, 2019, 10:25 AM IST

solar fancing

ऊना: जिला में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना किसानों के लिए कारगर सिद्ध हुई है. कृषि विभाग द्वारा किए जा रहे अग्रणी कदमों के चलते ही अब विभाग के पास इस योजना के माध्यम से लाभ लेने के लिए जिला भर से 36 कृषकों ने आवेदन किया है

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कृषकों के किए आवेदन पर करीब पांच करोड़ रुपये का बजट खर्च होने का अनुमान है. इसके लिए संबंधित विभाग ने प्रपोजल बनाकर सरकार को भेज दिया है. सरकार की तरफ से प्रपोजल के लिए मंजूरी मिलने के बाद ही इसका काम युद्ध स्तर पर शुरु होगा.
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बता दें कि प्रदेश सरकार की ओर से किसानों की फसलों को जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं से बचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना साल 2014 में शुरु की थी. योजना को शुरु करते समय बड़े स्तर पर जागरूकता के अभाव से योजना साकार रुप लेने से पिछड़ गई थी. जिला के किसानों ने नुकसान की भरपाई को लेकर विभागीय कार्यालयों में इस योजना का लाभ लेने के लिए विशेष उत्साह नहीं दिखाया.
हालांकि इसके पीछे कई कारण रहे, लेकिन सबसे बड़ा कारण योजना के तहत सरकारी स्तर पर अनुदान देने के लिए काफी कम बजट मुहैया कराना था. मौजूदा समय में प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के किसानों की आर्थिकी को हर साल होने वाले नुकसान को रोकने के लिए अधिक बजट मुहैया कराने के साथ ही योजना में काफी सुधार भी किया.
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क्या है मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना
प्रदेश सरकार ने साल 2014 में योजना शुरू की थी तो उस समय सौर उर्जा बार्ड बंदी लगाने के लिए किसान के लिए 40 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान किया था, लेकिन अब भाजपा सरकार ने इस अनुदान राशि को 80 प्रतिशत तक कर दिया. इसमें भी दो प्रकार से योजना का लाभ मिल सकता था जिसमें एकल स्तर पर सौर उर्जा बार्ड बंदी स्थापित करने के लिए किसान को 80 प्रतिशत तक अनुदान व सामुदायिक स्तर पर 85 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान देना सुनिश्चित किया. सरकार की तरफ से किसानों के लिए अनुदान राशि बढ़ाने के बाद से अब किसान इस योजना के तहत अपने खेतों की बार्डबंदी कराने के लिए आगे आ रहे हैं. सामुदायिक स्तर पर योजना शुरु करने वाला हरोली गांव बना.
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जिला के कृषि उपनिदेशक डॉ. सुरेश कपूर का कहना है कि हरोली में सौर उर्जा बार्ड बंदी का सफल मॉडल देखने के बाद अब काफी संख्या में किसान अपने आवेदन ब्लॉक स्तर पर जमा करवा रहे हैं. जिला के पांच ब्लॉक्स में काफी आवेदन आ गए हैं जिस पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके लिए अब विभाग ने प्रपोजल बनाकर विभागीय उच्चाधिकारियों को भेज दिया है. इसके अलावा इस योजना के तहत 63 लोग लाभान्वित हुए और करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च हुए.

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