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कालका-शिमला ट्रैक पर बढ़ेगा रोमांच, स्टीम इंजन को कैथलीघाट तक चलाने की तैयारी

रेलवे ने स्टीम इंजन के सफर को कालका-शिमला ट्रैक पर बढ़ाने की तैयारी कर ली है. यह फैसला रेलवे की ओर से हेरिटेज ट्रैक पर ऐतिहासिक स्टीम इंजन में सफर के बढ़ते हुए रोमांच को देखते हुए लिया जा रहा है.

Steam engine journey
कालका-शिमला ट्रैक पर बढ़ सकता है स्टीम इंजन का सफर.कालका-शिमला ट्रैक पर बढ़ सकता है स्टीम इंजन का सफर.

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Published : Dec 10, 2019, 7:14 PM IST

शिमला: कालका-शिमला रेलवे ट्रैक की धरोहर स्टीम इंजन का सफर और भी रोमांचक होने जा रहा है. रेलवे ने स्टीम इंजन के सफर को बढ़ाने की तैयारी कर ली है. यह सफर अभी तक मात्र शिमला रेलवे स्टेशन से कैथलीघाट स्टेशन तक ही किया जाता है, लेकिन अब इस सफर को बढ़ाया जाएगा. यह तय नहीं हुआ है कि इस सफर को कहां तक बढ़ाया जाएगा.

यह फैसला रेलवे की ओर से हेरिटेज ट्रैक पर ऐतिहासिक स्टीम इंजन में सफर के बढ़ते हुए रोमांच को देखते हुए लिया जा रहा है. स्टीम इंजन का सफर 21 किलोमीटर तक का ही करवाया जा रहा है. शिमला रेलवे स्टेशन से कैथलीघाट स्टेशन का सफर 21 किलोमीटर का है और ऐतिहासिक स्टीम इंजन भी रेलवे की ओर से यहां तक ही चलाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

इस बात की संभावनाएं रेलवे की ओर से तलाशी जा रही है कि स्टीम इंजन को 21 किलोमीटर से आगे तक भी चलाया जा सके. यह स्टीम इंजन रेलवे की ऐतिहासिक धरोहर है. इसे इंजन को ट्रैक पर स्पेशल बुकिंग पर ही चलाया जाता है, जिसमें ज्यादातर विदेशी सैलानी सफर करते है. इसकी एक वजह यह भी है की स्टीम इंजन कि स्पेशल बुकिंग का किराया लाखों में है.

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक टीपी सिंह ने कहा है कि कालका-शिमला के पास लोको मोटिव स्टीम इंजन है, जिसके रन को बढ़ाने का विचार किया जा रहा हैं. इसके रन को ट्रैक पर बढ़ाया जाएगा.

बता दे कि यह इतिहास को संजोने के प्रति प्रेरित करने के लिए किया जा रहा हैकालका-शिमला ट्रैक पर स्टीम इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था. 1971 तक भाप इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा. इस इंजन को 1971 में सर्विस करने के बाद ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया और 2001 में इंजन की मुरमत करवाई गई, जिसके बाद इसे ट्रैक पर चलाया जाता है.

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