शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal High Court) ने शिक्षा विभाग के अफसरों को बड़ा सबक सिखाया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद अभी भी शिक्षा सचिव व शिक्षा निदेशक को वेतन नहीं मिलेगा. उनकी सेलेरी अभी कुर्क ही रहेगी. मामले के अनुसार एक दशक से अधिक कानूनी लड़ाई लड़ने के बावजूद प्रार्थियों को विभाग ने अभी तक वास्तविक वेतनमान का पूरा-पूरा लाभ नहीं दिया है. हाई कोर्ट ने इसे अवमानना का केस माना और सजा के तौर पर शिक्षा सचिव व निदेशक की सेलेरी कुर्क की है.
शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने अदालत के आदेश के बाद रोकी गई सेलरी को बहाल करने के लिए हाई कोर्ट में आवेदन दायर किया था. आवेदन पर सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्हें उनकी बकाया वास्तविक वेतनमान संबंधी वित्तीय लाभ अभी भी पूरी तरह नहीं दिए गए हैं, जबकि शिक्षा विभाग की ओर से बकाया वेतन किस्तों में देने की बात कही थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि जब बकाया राशि 48 घंटे के भीतर देनी थी. यानी बकाया रकम कोर्ट के आदेशानुसार देनी थी तो कोर्ट के पिछले आदेशों में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए कोर्ट ने इस आवेदन पर मामले में पूर्व निर्धारित तिथि को ही विचार करने के आदेश पारित किए.
बता दें कि अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग के सचिव व निदेशक उच्च शिक्षा का वेतन रोकने के आदेश जारी किए थे. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने जगरूप चंद कटोच व अन्यों द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए थे. हाई कोर्ट ने 9 दिसंबर 2022 को पारित आदेशों में स्पष्ट किया था कि प्रार्थियों के वित्तीय लाभ 48 घंटे के भीतर अदा कर दिए जाएं अन्यथा शिक्षा विभाग के अफसरों की सेलेरी स्वत: कुर्क हो जायेगी.