शिमला: कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में की गई खरीद पर सवाल उठाते हुए माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि चंबा में एक निजी मेडिकल स्टोर से बाजार की तुलना में अत्याधिक ऊंची कीमतों पर मास्क और थर्मल स्कैनर खरीदे गए. सिंघा ने मामले की तुरंत जांच की मांग रखी. राकेश सिंघा ने इस संबंध में दस्तावेज भी सभापटल पर रखे. सिंघा ने संदेह जताया कि इस प्रकार के मामले अन्य जिलों से भी सामने आ सकते हैं इसलिए बड़े स्तर पर कोरोना काल में हुई खरीद की जांच होनी चाहिए.
आउटसोर्स कर्मियों को निकालने पर राकेश सिंघा ने जताई नाराजगी
राकेश सिंघा ने विद्युत विभाग से 815 आउटसोर्स कर्मियों को निकालने पर भी भारी रोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ये युवक सड़कों पर आ गए हैं. सरकार को कोरोना संक्रमण के दौरान बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार देने चाहिए न कि नॉकरी से निकलना चाहिए. ये युवक अब कहां जाएंगे. सरकार को इनके बारे में मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए फिर से नियुक्त करने चाहिए.
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सिंघा ने सरकार के ऑनलाइन शिक्षा के दावे को भी झूठा करार दिया. उन्होंने कहा कि अभिभाषण में सरकार ने ऐसे छात्रों को घर-द्वार पर अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवाने का दावा किया है, जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं थे, लेकिन ये दावे सरासर झूठे हैं, क्योंकि एक भी छात्र को शिक्षकों की ओर से इस तरह की कोई सामग्री घर पर नहीं दी गई.
कोरोना संकट काल में निजी स्कूलों ने अभिभावकों की बढ़ा परेशानी
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट काल में भी निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से लूट की गई. न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल करने और पुलिस कर्मियों की अनुबंध अवधि 8 वर्ष से घटाने की भी मांग की. सिंघा ने विपक्ष के साथ चल रहे विवाद को हल करने की भी सरकार और विधानसभा अध्यक्ष से मांग की और कहा कि जो चल रहा है वह अच्छा नहीं है, क्योंकि लोकतंत्र में विपक्ष का होना जरूरी है.
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