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बिजली उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी में बदलाव, जानें बिल पर कितना पड़ेगा असर ?

हिमाचल सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले सब्सिडी से जुड़े नियमों में बदलाव का फैसला लिया है. प्रदेश सरकार हर साल लगभग 450 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है. इस कदम से सरकार की वार्षिक सौ करोड़ रुपये की बचत होगी, जिसका बेहतर उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जा सकेगा.

cm jairam thakur
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Published : Jun 25, 2020, 11:00 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार ने राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले सब्सिडी के युक्तिकरण का निर्णय लिया है. प्रदेश सरकार हर साल लगभग 450 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है. जिसमें से 18 प्रतिशत सब्सिडी केवल ऐसे 11 लाख उपभोक्ताओं को दी जाती है, जो 125 यूनिट महीने से कम बिजली की खपत करते हैं.

बाकी नौ लाख ऐसे उपभोक्ताओं को सब्सिडी दी जाती है, जो 125 यूनिट प्रतिमाह से अधिक बिजली की खपत करते हैं. सभी उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले सब्सिडी के युक्तिकरण के लिए सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ऐसे उपभोक्ता जो बिजली की कम खपत करते हैं, उनके मासिक बिलों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. 11 लाख ऐसे उपभोक्ता जो 125 यूनिट प्रतिमाह से कम बिजली की खपत करते हैं, उनके उपदान स्वरूप को नहीं बदला गया है.

ऐसे लगभग चार लाख उपभोक्ता जो 125 से 200 यूनिट प्रतिमाह बिजली की खपत करते हैं, उनके मासिक बिल 40 से 113 रुपये तक बढ़ेंगे. शेष उपभोक्ताओं को बिजली की खपत के अनुसार ही मासिक बिलों का भुगतान करना होगा. यहां यह बताना आवश्यक है कि पंजाब और उत्तराखंड में 125 से 300 यूनिट प्रतिमाह बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ता 6.59 रुपये और 3.27 रुपये प्रति यूनिट दर से भुगतान करते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह दर 2.62 रुपये है.

300 यूनिट प्रतिमाह से अधिक बिजली की खपत कर रहे पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के उपभोक्ता औसतन क्रमशः 7.06 रुपये, 5.90 रुपये, 5.72 रुपये तथा 6.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करते हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह दर केवल 3.93 रुपये प्रति यूनिट है. युक्तिकरण के बाद भी प्रदेश में पड़ोसी राज्यों की तुलना में वसूली जाने वाली बिजली की दरें कम है, यह औसतन 3.36 प्रति यूनिट है.

यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है, ताकि अनुदान का सापेक्ष लाभ कम बिजली खपत करने वाले अधिक उपभोक्ताओं को मिल सके और अन्य उपभोक्ताओं को बिजली का उचित उपयोग करना चाहिए. इस कदम से सरकार की वार्षिक सौ करोड़ रुपये की बचत होगी, जिसका बेहतर उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जा सकेगा.

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