शिमलाः हाईकोर्ट ने राज्य लोकसेवा आयोग की सदस्य मीरा आहलुवालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले को रद्द करने संबंधी रिपोर्ट का रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दे दिए हैं. मीरा की वर्ष 2017 में हुई नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को ये आदेश दिए हैं.
न्यायाधीश संदीप शर्मा और मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की खंडपीठ ने हेमराज की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार से पूछा है कि वो आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति में पारदर्शिता बरतने को क्या नियम कानून बनाने जा रही है. हाईकोर्ट ने ये भी पूछा है कि मीरा आहलुवालिया के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले को किस आधार पर रद्द करने की रिपोर्ट तैयार की गई थी. अब मामले पर अगली सुनवाई 17 जून को होगी.
बता दें कि वर्ष 2013 में मीरा आहलुवालिया के खिलाफ दर्ज मामले में अभियोजन पक्ष के संबंधित अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के साथ भ्रष्टाचार का मामला समाप्त हो गया था. इसके साथ ही वर्ष 2010 में मीरा और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रहे सुभाष आहलुवालिया पर पूर्व पुलिस अधिकारी स्वर्गीय बीएस थिंड के माध्यम से परवाणू के एक व्यापारी से आठ लाख रिश्वत लेने का आरोप लगा था. जिसकी एफआईआर भी दर्ज हुई थी. 2013 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस एफआईआर को रद्द किया गया था. मीरा और उनके पति के खिलाफ मनी लांड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में ईडी ने पूछताछ भी की थी.