शिमला: हिमाचल में भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रदेश सरकार ने भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने के लिए आईआईटी रुड़की को प्रस्ताव भेजा है. सरकार के इस प्रयास से भूकंप आने की जानकारी पहले ही मिल जाएगी.
प्रदेश में भूकंप पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की के प्रस्ताव के अनुसार हिमाचल, राज्य के विभिन्न भागों में भूकंप सेंसर लगा सकता है, जो रियल टाइम में भूकंप संबंधित जानकारी का पता लगाएगा. यह चेतावनी सायरन के नेटवर्क द्वारा आम जनता को दी जा सकती है.
मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर की कैबिनेट उन्होंने बताया कि अगर भूकंप का केंद्र कांगड़ा या मंडी क्षेत्रों में है तो राज्य की राजधानी में लोगों को 30 से 35 सेकंड तक का प्रतिक्रिया समय मिलेगा. शर्मा ने कहा कि राज्य का अधिकतम क्षेत्र हिमालय में स्थित है जो कि दुनिया के सबसे भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है.
राज्य में भूकंप संबंधित खतरों को कम करने की दिशा में विकसित भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में आईआईटी रुड़की ने भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था.
आपको बता दें कि आईआईटी रुड़की ने पहले ही राज्य सरकार की सहायता से उत्तराखंड में इस तरह के भूकंप अर्ली सिस्टम को स्थापित किया है, जो भूकंप की घटनाओं का डेटाबेस तैयार करके सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने और भूकंपीय गतिविधियों पर विस्तृत शोध करके बहुत प्रभावी ढंग से चल रहा है.