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बिना चीरफाड़ किए IGMC में हुआ सफल ऑपरेशन, पेट व पैर की क्लॉटिंग को किया ठीक

यूएसए में हुई एक रिसर्च के अनुसार केवल 4 फीसदी पेशेंट की जान इस तरह के ऑपरेशन के बाद बचती है. लेकिन कार्डियोलॉजी विभाग की टीम ने यह कर दिखाया है.

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Published : May 21, 2019, 10:23 PM IST

शिमला: आइजीएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग ने बिना चीर फाड़ के पेशेंट के पैरों और पेट से हार्ट को खून की सप्लाई देने वाली नस में जमी क्लॉटिंग को ठीक किया है. इस बार कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. राजीव भारद्वाज और उनकी टीम ने मंडी के 50 वर्षीय चमन लाल की जान बचाई है. यह इसलिए चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यूएसए में हुई एक रिसर्च के अनुसार केवल 4 फीसदी पेशेंट की जान इस तरह के ऑपरेशन के बाद बचती है. लेकिन कार्डियोलॉजी विभाग की टीम ने यह कर दिखाया है.


चमन लाल का चार दिन से पीठ दर्द के चलते जनवरी माह में मंडी अस्पताल में भर्ती करवाया गया. यहां पर अल्ट्रासाउंड से पता चला की पेशेंट की पैरों और पेट से हार्ट को खून सप्लाई करने वाली बड़ी नस इंफेरियर वेना कावा (आईवीसी) में क्लॉटिंग है. पेशेंट को आइजीएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग को भेजा गया. डॉ. भारद्वाज ने जब पेशेंट की जांच की तो पाया कि उसकी एंजियाग्राफी करनी पड़ेगी, ताकि क्लॉटिंग हट सके. उन्होंने पेशेंट को एक कैथेटर से क्लॉटिंग की जगह पर इंजेक्शन दिया, ताकि क्लॉटिंग हट सके. इंजेक्शन के बाद क्लॉटिंग हार्ट में न जाए इसके लिए आईवीसी में एक फिल्टर भी डाला गया, क्योंकि क्लॉटिंग अगर हार्ट में जाती तो मरीज की जान जा सकती थी. 24 घंटे बाद एक और इंजेक्शन दिया गया. 26 अप्रैल को पेशेंट की दोबारा जांच की गई तो पेशेंट की क्लॉटिंग हट चुकी थी और वह ठीक हो चुका था.


डॉक्टरों की टीम के पास अब असली चुनौती आईवीसी में लगाए गए फिल्टर को बिना ऑपरेशन के निकालना था, क्योंकि 3 से 4 सप्ताह फिल्टर को आईवीसी में डाले हो चुके थे. इससे अब पेशेंट के शरीर में इंफेक्शन हो सकता था, जिससे कई तरह की बीमारियां लगने का डर था. वहीं अगर फिल्टर निकालते समय कोताही हो जाती तो मरीज की जान जा सकती थी. बीते 17 मई को डॉक्टर राजीव भारद्वाज और उनकी टीम ने पेशेंट को बुलाया. उन्होंने फिल्टर को निकालने के लिए मरीज के गले की नस से एक हार्ट के राइट साइड में एक पतली नली डाली. इस नली के माध्यम से एक लूप डाली गई, जिससे फिल्टर की हुक को पकड़ कर बाहर निकाला गया. फिल्टर आईवीसी से पूरी तरह चिपका हुआ था, ऐसे में इसे निकालना काफी मुश्किल भरा था.

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