करसोग: खेती और किसानी को नई दिशा देने का दम भरने वाली सरकार की कथनी और करनी में अंतर साफ नजर आ रहा है. इसका बड़ा उदाहरण करसोग में 79 लाख की लागत से बनी सब्जी मंडी है, जो सरकार की अनदेखी के कारण खंडहर बन गई है.
जानकारी के अनुसार छह साल पहले दुकानों समेत बोली के लिए एक ऑक्शन यार्ड बनाकर इस सब्जी मंडी को जनता के लिए समर्पित किया गया था, लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में ये सब्जी मंडी सुनसान पड़ी है. करसोग समेत आसपास के क्षेत्रों के किसानों को घरद्वार अपने उत्पाद बेचने की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने वर्ष 2011 में सब्जी मंडी का निर्माण कार्य शुरू किया था, जिसे 2013 में पूरा भी कर लिया गया.
हैरानी की बात है कि सब्जी मंडी पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी यहां बोली नहीं लग रही है, जबकि मंडी का निर्माण कार्य शुरू होने के एक्ट से अब तक प्रदेश में तीन बार सरकार बदल चुकी है. ऐसे में किसानों की आय दोगुनी होगी, इस तरह के सरकारी प्रयास धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं. सब्जी मंडी में बोली न लगने की असल वजह यहां तक वैकल्पिक मार्ग का न होना है.
एपीएमसी ने मार्ग की कोई व्यवस्था न होने के बावजूद आनन फानन में ही सब्जी मंडी का निर्माण कार्य शुरू कर दिया था. इस तरह की लापरवाही के कारण अभी तक ये सब्जी मंडी वीरान पड़ी है. जनता से दबाव पड़ने के बाद पीडब्ल्यूडी ने मार्ग के निर्माण के लिए 6 साल पहले 1.3 करोड़ का एस्टिमेट तैयार किया था, लेकिन जल्द कार्य शुरू न होने के कारण इसकी लागत भी अब करीब 2 करोड़ तक पहुंच गई है. इसमें एक पुल का निर्माण भी शामिल था, लेकिन एपीएमसी मंडी के पास खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि नहीं है. इसलिए मामले को फंडिंग के लिए सरकार को भेजा गया, जिस पर अभी तक यहां भी कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में सब्जी मंडी निर्माण पर खर्च हुई लाखों की राशि बर्बाद हो रही है.
लोगों का कहना है कि सरकार की लापरवाही हजारों किसानों को दूर दराज की मंडियों में अपने उत्पाद बेचने को ले जाने पड़ रहे हैं. इससे किसानों का पैसा और समय दोनों ही बर्बाद हो रहा है. करसोग विधायक हीरालाल का कहना है कि रास्ते की वजह से सब्जी मंडी में काम शुरू नहीं हो सकी है. इस मामले को विधानसभा में भी उठाया गया था, जिसके बाद मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन ने यहां का निरीक्षण किया और अब सड़क निर्माण की बात चल रही है.
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