कांगड़ा: कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण एक और जहा अपने सगे संबंधी ही साथ छोड़ रहे हैं. वहीं, दूसरी और जिला कांगड़ा के बागड़ू पंचायत में लोगों ने मानवता का परिचय दिया है. जानकारी के अनुसार नौशहरा के रहने वाले किसान पृथी चंद दो सप्ताह पहले कोरोना की चपेट में आ गए थे. पांच से सात दिन कोरोना से जंग लड़ने के बाद भी वो खुद को बचा नहीं पाए और उनकी मृत्यु हो गई.
गांव वालों ने किया पार्थिव देह का अंतिम संस्कार
वहीं, परिवार के सदस्यों में उनकी पत्नी, बेटा और बहू भी कोरोना की चपेट में आ चुके थे. स्थिति इतनी नाजुक थी कि घर वाले पृथी चंद का अंतिम संस्कार कर पाने में असमर्थ थे. तब गांव के ही कुछ लोगों ने आगे आ कर पृथी चंद की पार्थिव देह को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत श्मशान घाट तक पहुंचाया, जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
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खेतों में खड़ी फसल
पृथी चंद की मौत के साथ ही सवाल ये खड़ा हो गया कि अब उसके खेतों में खड़ी उस रबि की फसल को कौन काटेगा और कैसे फसल घर तक पहुंचाई जाएगी. क्योंकि एक तो खराब मौसम और लगातार बारिश ऊपर से घर-परिवार में मातम और कोरोना का कहर तीसरा करीब आठ से दस कनाल की जमीन यानी खेतों में खड़ी 6 महीने की खून-पसीने की कमाई गेहूं आए दिन बर्बाद होती हुई नजर आ रही थी.
गांव के लोगों से की फसल काटने की अपील
ऐसे में बागड़ू पंचायत के प्रधान समेत लाहेश्वरी मंदिर कमेटी के सदस्यों ने दुख की इस घड़ी में अपना कामकाज छोड़ सबसे पहले इस परिवार का सहयोग करने की ठानी है. उन्होंने अपने स्तर पर गांव के लोगों से आह्वान कर उनकी खेतों में खड़ी बर्बाद होती फसल को काटने की अपील की.
घर तक पहुंचाई फसल
उनके इस आह्वान पर कई लोगों ने हामी भर एकजुटता दिखाई और दिवंगत किसान पृथी चंद के खेतों में जाकर न केवल कटाई का काम शुरू किया, बल्कि उसकी बुहाई समेत घर तक पहुंचाने का भी बीड़ा उठाया.
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