हमीरपुर:जिला हमीरपुर में कोरोना संकटकाल (Corona crisis) के बावजूद निजी वाहनों में सवारियां ढोने का कारोबार खूब फल फूल रहा है. एक तरफ जहां सरकार को चूना लगाया जा रहा है तो दूसरी तरफ टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी पर भी संकट छा गया है.
वीरभूमि टैक्सी यूनियन ने उठाई कड़ी कार्रवाई की मांग
वीरभूमि टैक्सी यूनियन (Veer Bhumi Taxi Union) हमीरपुर के पदाधिकारियों की मानें तो अगर 1 दिन में नाका लगाया जाए तो दर्जनों ऐसे वाहन पकड़े जाते हैं. पिछले 1 साल में भारी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं.
इन मामलों में आरटीओ हमीरपुर और पुलिस विभाग (Police Department) की तरफ से कार्रवाई की गई है. जुर्माना भी निजी वाहन (Private vehicle) चालकों से वसूला गया है, लेकिन निजी वाहन चालकों पर टैक्सी चालक कड़ी कार्रवाई करने की मांग उठा रहे हैं और इस विषय में एक ठोस नीति बनाने की मांग उठाई जा रही है.
ठोस नीति बनाने की जरूरत
टैक्सी चालक (Taxi driver) विपिन कुमार कहते हैं कि पहले वह इसकी जानकारी यूनियन को देते हैं. इसके बाद विभाग को जानकारी दी जाती है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन इसमें विभाग और सरकार को ठोस नीति बनाने की जरूरत है, ताकि सरकार को भी चूना ना लगे और टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी पर भी संकट ना हो.
जिला की समस्या जस की तस
वीरभूमि टैक्सी यूनियन (Veer Bhumi Taxi Union) के प्रधान विजय कुमार का कहना है कि में समय पर कार्रवाई प्रशासन और विभाग की तरफ से की जाती है. उन्होंने कहा कि कई बार नाके लगाकर निजी वाहन चालकों को पकड़ा जाता है, लेकिन हमीरपुर जिला (Hamirpur District) की समस्या जस की तस है. हर तीसरी निजी गाड़ी सवारियां ढोने का काम कर रही है जिस वजह से सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है और टैक्सी चालकों के भी रोजगार पर संकट छा गया है.
कई निजी वाहन चालकों के किए गए हैं चालान
आरटीओ हमीरपुर (RTO Hamirpur) वीरेंद्र शर्मा का कहना है कि निजी वाहनों में सवारिया ढोने पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है कोरोना संकट काल में यह निजी वाहन चालकों द्वारा अधिक किया जा रहा है जिस पर विभाग की तरफ से निजी वाहन चालकों को नोटिस भी जारी किए गए हैं और कई वाहन चालकों को ₹5000 तक जुर्माना भी किया गया है.
विभाग और पुलिस के लिए चुनौती
आरटीओ हमीरपुर (RTO Hamirpur) वीरेंद्र शर्मा का कहना है कि पुलिस की मदद से जहां पर अधिक शिकायतें मिल रही हैं. वहां पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है. यह कार्य लंबे समय से जिला में चल रहा है. ऐसे में इस पर नियंत्रण पाना विभाग और पुलिस के लिए चुनौती है, लेकिन टैक्सी यूनियनों और स्थानीय लोगों की मदद से इस पर लगाम लगाई जाती है, ताकि सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी हो और टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी पर भी संकट पैदा ना हो.
बता दें कि मोटर कैब (Motor cab) या टैक्सी चलाने के लिए परमिट जरूरी होता है. जिसके लिए निर्धारित शुल्क देना होता है और समय समय पर परमिट नवीनीकरण के लिए भी शुल्क अदा करना होता है, लेकिन कई निजी वाहन मालिक बिना परमिट के अपने वाहन को कैब (cab)या टैक्सी की तरह इस्तेमाल करते हैं.
इससे सरकार को राजस्व (Revenue) का नुकसान तो होता ही है साथ ही में टैक्सी चालकों को भी इससे भारी नुकसान उठाना पड़ता है.