हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

लॉकडाउन स्पेशल: देसी जुगाड़ से व्यर्थ बह रहे पानी को पहुंचाया सही जगह

गर्मियों के मौसम में पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी कई जगहों पर पानी की किल्लत लोगों को तंग करती है. मनुष्य पानी का प्रबंध कहीं न कहीं से कर लेता है, लेकिन पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करना बहुत मुश्किल हो जाता है. बिलासपुर के एक आर्किटेक्ट देसी जुगाड़ से न केवल अपने गार्डन को हरा-भरा रख रहे हैं, बल्कि बेजुबानों की प्यास भी बुझा रहे हैं.

model to use water wasting from pipes
विकास भारद्वाज, निर्माणकर्ता.

By

Published : May 10, 2020, 2:52 PM IST

बिलासपुर: शहर में गर्मियों के दिनों में पानी की दिक्कतें पेश आती रहती हैं. लोगों के लिए पानी का प्रबंध फिर भी कर लिया जाता है, लेकिन पशुओं के लिए पानी का कोई इंतजाम शहर में नहीं किया गया है. अपनी प्यास बुझाने के लिए पशु-पक्षी गोविंद सागर झील की ओर रुख करते हैं, जिससे कई बार भारी भरकम पशु गोविंद सागर झील के दलदल में भी फंस जाते हैं. दलदल में फंसने से हर साल कई जानवरों की जान जाती है.

ऐसे में नगर के रोडा सेक्टर में रहने वाले आर्किटेक्ट विकास भारद्वाज ने एक नायाब तरीका खोजकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. क्या है यह नायाब खोज आइए आगे आपको बताते हैं. विकास के इस प्रयास से न सिर्फ पशु-पक्षियों की प्यास बुझ रही है, बल्कि उनके घर के छोटे से गार्डन और क्यारियों में भी पानी की किल्लत खत्म हो गई है.

वीडियो रिपोर्ट.

रोचक पहलू यह है कि विकास ने व्यर्थ बह रहे पानी का सुदुपयोग किया है. यह पानी आईपीएच विभाग द्वारा पूरे नगर को सप्लाई किए जाने वाले पानी का वह अंश है, जो लोगों द्वारा उनकी पेयजल पाइपों को हवा न आने की सूरत में कट लगाने के बाद व्यर्थ बहता है. शहर में एक निजी स्कूल और ट्रांसफार्मर के समीप ऐसी कई पाइपें दिखाई देती हैं जो नीचे की ओर रिहायशी मकानों में जा रही हैं, लेकिन लोगों द्वारा इन लोहे की पाइपों में कट लगाए जाते हैं, ताकि हवा का दबाव सही तरीके से बना रहे और उन्हें पानी मिलता रहे.

यह है वह नायाब तरीका

व्यर्थ बहने वाले पानी का आर्किटेक्ट विकास भारद्वाज ने अपनी तरकीब से न केवल सदुपयोग किया, बल्कि बेसहारा पशुओं और पक्षियों को भी 24 घंटे पानी उपलब्ध करवाने का पुण्य कमा रहे हैं. विकास भारद्वाज का कहना है कि उन्होंने सुबह शाम लीक हो रही पाइपों पर प्लास्टिक की बोतलों को बांधा और फिर छोटी-छोटी नालियों के माध्यम से सारा पानी एकत्रित किया. उसके बाद एक टंकी का निर्माण अपने खर्चे पर किया. व्यर्थ बह रहे इस पानी को इस टंकी में एकत्रित किया और उसके बाद अंडर ग्राउंड पाइप के माध्यम से छोटी-छोटी क्यारियों और गार्डन में लगे फूल-पौधों को पानी पहुंचाया. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में उन्हें यह सब काम करने का समय प्राप्त हुआ है.

वेस्ट मटिरियल का किया उपयोग

हैरानी की बात यह है कि इसके लिए उन्होंने किसी की कोई मदद नहीं ली. इतना ही नहीं विकास ने इस काम में घर में पड़े बेकार सामान का प्रयोग किया. विकास भारद्वाज के इस प्रयास से जहां लोगों में पानी की वेस्टेज को रोकने के लिए और उसका सदुपयोग करने के लिए प्रेरणा मिलती है, वहीं बेसहारा जानवरों के लिए भी यह एक पुण्य का कार्य है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details