बिलासपुर: शहर में गर्मियों के दिनों में पानी की दिक्कतें पेश आती रहती हैं. लोगों के लिए पानी का प्रबंध फिर भी कर लिया जाता है, लेकिन पशुओं के लिए पानी का कोई इंतजाम शहर में नहीं किया गया है. अपनी प्यास बुझाने के लिए पशु-पक्षी गोविंद सागर झील की ओर रुख करते हैं, जिससे कई बार भारी भरकम पशु गोविंद सागर झील के दलदल में भी फंस जाते हैं. दलदल में फंसने से हर साल कई जानवरों की जान जाती है.
ऐसे में नगर के रोडा सेक्टर में रहने वाले आर्किटेक्ट विकास भारद्वाज ने एक नायाब तरीका खोजकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. क्या है यह नायाब खोज आइए आगे आपको बताते हैं. विकास के इस प्रयास से न सिर्फ पशु-पक्षियों की प्यास बुझ रही है, बल्कि उनके घर के छोटे से गार्डन और क्यारियों में भी पानी की किल्लत खत्म हो गई है.
रोचक पहलू यह है कि विकास ने व्यर्थ बह रहे पानी का सुदुपयोग किया है. यह पानी आईपीएच विभाग द्वारा पूरे नगर को सप्लाई किए जाने वाले पानी का वह अंश है, जो लोगों द्वारा उनकी पेयजल पाइपों को हवा न आने की सूरत में कट लगाने के बाद व्यर्थ बहता है. शहर में एक निजी स्कूल और ट्रांसफार्मर के समीप ऐसी कई पाइपें दिखाई देती हैं जो नीचे की ओर रिहायशी मकानों में जा रही हैं, लेकिन लोगों द्वारा इन लोहे की पाइपों में कट लगाए जाते हैं, ताकि हवा का दबाव सही तरीके से बना रहे और उन्हें पानी मिलता रहे.