शिमला: हिमाचल प्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है. पानी में ऑक्सीजन लेवल भी ठीक माना जा रहा है. हालांकि प्रदेश की कुछ बड़ी नदियों के प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन अन्य छोटी नदियां प्रदूषण मुक्त हैं और इनका पानी पीने योग्य है. प्रदेश में पानी की गुणवत्ता पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नजर रख रहे हैं और पानी की क्वालिटी की हर महीने जांच की जा रही है.
बीते वर्ष केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा पानी की गुणवत्ता को जांचा गया तो ब्यास में बीओडी (बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा अधिक पाई गई, बीओडी की मात्रा तय मानकों से अधिक 7.6 आंकी गई है, जबकि स्वां की 9 आंकी गई है. इसके अलावा सिरसा, सुखना, सुकेती, अश्वनी खड्ड, मारकंडा और पब्बर नदियां शामिल हैं.
प्रदूषित होता जा रहा नदियों का पानी
हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव निकुल जिंदल बताते हैं कि प्रदेश में बोर्ड समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच कर रहा है. प्रदेश भर में 344 लोकेशन ऐसे हैं, जहां पर समय-समय पर पानी के नमूने लिए जाते हैं और उसमें प्रदूषण के स्तर को मापा जाता है. प्रदेश में 213 लोकेशन ऐसी हैं, जिनका 15 दिन के बाद और 131 लोकेशन की तीन महीने के बाद जांच की जा रही है. प्रदेश में बहने वाली सात नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का किया जाता है निरीक्षण
निकुल जिंदल का कहना है कि नदियों का पानी ऐसा भी नहीं हुआ है कि उसे पीने लायक ना रहा हो. प्रदूषण बोर्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण भी करते हैं और यह देखा जाता है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नदियों में ना जाए. उन्होंने कहा कि पानी मे ऑक्सीजन लेवल जितना ज्यादा होगा उतना ज्यादा पानी स्वच्छ होगा.
समय-समय पर लिये जा रहे हैं पानी के नमूने
प्रदेश में रनिंग वाटर है जिसके चलते पानी में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा रहती है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर जल स्रोतों में पानी के नमूने लेकर उनकी उसकी जांच भी करता रहता है ताकि लोगों को स्वच्छ पानी पीने को मिले.
शहर में 6 स्रोतों से होती है पानी की सप्लाई