शिमला: कोरोना संकट के बीच कई देश भारत से मलेरिया का उपचार करने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (HCQ) दवा की मांग कर रहे हैं. हिमाचल फार्मा हब है और ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन (बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़) में 54 छोटी-बड़ी फार्मा कंपनियों को इस दवाई को बनाने का लाइसेंस मिला हुआ है.
फिलवक्त 10 से 12 फार्मा कंपनियां हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (hydroxychloroquine) दवाई को बना रही हैं. अब जल्द सभी 54 यूनिट में इस दवाई का प्रोडक्शन शुरू कर दिया जाएगा.
वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा को कारगर बताया जा रहा है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है. ऐसे में अगर इस दवा की मांग बढ़ती है तो हिमाचल स्थित सभी कंपनियों को प्रोडक्शन बढ़ाना पड़ेगा.
हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य सुरक्षा नियामक निदेशक नरेश कुमार लठ ने बताया कि प्रदेश में मौजूद बाकि कंपनियां भी जिनके पास हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा को बनाने के लाइसेंस हैं वो प्रोडक्शन शुरू कर देंगे.
निदेशक नरेश कुमार लठ ने कहा कि हिमाचल में कर्फ्यू होने के बावजूद सीएम जयराम ठाकुर ने आदेश दिया है कि कंपनियां इन दवाइयों की प्रोडक्शन शुरू कर सकती हैं, जिससे दवाई की कमी न हो. हिमाचल में 10 से 12 कंपनियां है जो हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई को बना रहे हैं. वहीं, हिमाचल में जल्द ही बाकी निजी कंपनियां भी इस दवाई को बनाने का कार्य शुरू करेंगे.