कुल्लू:एक तरफ प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं जिससे हर व्यक्ति परेशान है. वहीं, बागवान जिनकी इस समय सेब की फसल तैयार होती है, उनको अपनी फसलों की चिंता सता रही है. दरअसल इन दिनों सेब की फसल तोड़ने का समय होता है, लेकिन मजदूर न होने के कारण उनकी फसल बगीचों में ही खराब हो रही है. इसकी वजह से उन्हें पूरे साल नुकसान झेलना पड़ रहा है.
जिला कुल्लू में इन दिनों सेब का सीजन जोरों पर हैं, लेकिन बागवान मजदूरों के लिए परेशान हो रहे हैं. ऐसे में अगर बागवानों को मजदूर नहीं मिले तो सेब की फसल के बगीचों में ही खराब होने की पूरी संभावना भी बनी हुई है. दरअसल कुल्लू के उझी घाटी, मणिकरण, बंजार में इन दिनों सेब के बगीचों में तुड़ाई का काम जोरों पर है. रोजाना बागवान बगीचों से सेब को तोड़कर मंडियों में पहुंचा रहे हैं और जल्द इस कार्य को खत्म करने में लगे हुए हैं.
कुछ जगहों पर तो बागवानों ने अपने खर्चे पर मजदूरों की व्यवस्था भी की है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते कई बागवान अभी भी मजदूरों को बाहर से लाने में डर रहे हैं. वहीं, सरकार ने बाहरी राज्यों से मजदूर लाने का फैसला तो किया, लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कुछ बागवानों को इसे समझना ही काफी मुश्किल है. घाटी के बागवान राजीव किमटा ने कहा कि प्रदेश में 4.5 हजार करोड़ से अधिक सेब का व्यापार होता है और ज्यादातर कार्य मजदूरों पर ही निर्भर रहता है.