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प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना: वोकल फॉर लोकल के लिए अनुदान देने की तैयारी

आत्मनिर्भर भारत के जरिए बिलासपुर जिले में भी लोगों को खासकर युवाओं को सूक्ष्म उद्योगों से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत करने की तैयारी शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में एक जिला एक उत्पाद के तहत बिलासपुर में हल्दी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. महाप्रबंधक के अनुसार एफपीओ, एसएचजी व सहकारिताओं, राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों और निजी उद्यमियों को प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग और इन्क्यूवेशन केंद्र समेत इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के विकास के लिए 35 फीसदी की दर से क्रेडिट लिंक्ड अनुदान उपलब्ध करवाया जाएगा.

Vocal for Local in Bilaspur
वोकल फॉर लोकल के लिए 35 फीसदी अनुदान.

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Published : Aug 25, 2021, 3:48 PM IST

बिलासपुर: आत्मनिर्भर भारत वोकल फॉर लोकल (vocal for local) के तहत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) के माध्यम से सहायता राशि प्रदान कर लोगों विशेषकर युवा वर्ग को सूक्ष्म उद्योगों से जोड़कर घरद्वार आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जाएगा. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने राज्य संघ राज्य क्षेत्र की भागीदारी में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी एवं कारोबार सहायता देने के लिए अखिल भारतीय आधार पर इस योजना की शुरुआत की है.

इसके तहत जीएसटी, एफएसएसएआई स्वच्छता मानकों और उद्योग आधार के लिए पंजीकरण के साथ साथ उन्नयन एवं फॉर्मलाइजेशन के लिए पूंजी निवेश के लिए सहायता, कुशल प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा मानकों एवं स्वच्छता के संबंध में तकनीकी जानकारी देने एवं गुणवत्ता सुधार के माध्यम से क्षमता निर्माणए बैंक ऋण एवं डीपीआर तैयार करने के लिए हैंड-होल्डिंग सहायता व पूंजी निवेश, इन्फ्रास्ट्रक्चर और ब्रांडिंग एवं विपणन सहायता के लिए कृषक उत्पादक संगठनों एफपीओ स्वयं सहायता समूहों एसएचजी और उत्पादक सहकारिताओं को सहायता प्रदान की जाएगी.

इन सूक्ष्म उद्योगों के लिए मिलेगा अनुदान: जिला उद्योग केंद्र बिलासपुर (Industry Center Bilaspur) में महाप्रबंधक उत्तम वर्मा ने बताया कि इस योजना में एक जिला एक उत्पाद दृष्टिकोण के तहत इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं का लाभ लेने और उत्पादों के विपणन के लाभों को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा. राज्य में मौजूदा समूहों व कच्ची सामग्री को ध्यान में रखते हुए हर जिला के लिए खाद्य उत्पाद निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत शिमला के लिए सेब, मंडी के लिए मटर व सब्जियां, कुल्लू के लिए सेब, लाहौल-स्पीति के लिए सी-बकथॉर्न, किन्नौर के लिए फ्रूटवाइन, सोलन के लिए मशरूम, ऊना के लिए आलू, हमीरपुर के लिए दूध और दूध से बने उत्पाद, सिरमौर के लिए अदरक व लहसुन, चंबा के लिए सेब, कांगड़ा के लिए आम और बिलासपुर जिला के लिए हल्दी शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि ओडीओपी उत्पाद जल्द सड़ने गलने वाली उपज पर आधारित अनाज आधारित या व्यापक रूप से जिले और उनके सहयोगी क्षेत्रों में उत्पादित खाद्य उत्पाद हैं. ओडीओपी दृष्टिकोण के तहत उत्पादन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी. हालांकि अन्य उत्पादों का उत्पादन करने वाले उद्यमों को भी समर्थन दिया जाएगा. ओडीओपी दृष्टिकोण के तहत उत्पादों के लिए सामान्य बुनियादी ढांचे और ब्रांडिंग व विपणन के लिए समर्थन दिया जाएगा.

महाप्रबंधक के अनुसार अपने उद्यम का उन्नयन करने के लिए इच्छुक सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना प्रोजेक्ट लागत के 35 प्रतिशत पर क्रेडिट. लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतम सब्सिडी दस लाख रुपए प्रति उद्यम तक हो सकती है. लाभार्थी का योगदान न्यूनतम 10 प्रतिशत रहेगा. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना कृषक उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और को-ऑपरेटिव को ही सहायता मिलेगी. उन्होंने बताया कि वर्किंग कैपिटल और छोटे औजारों की खरीद के लिए खाद्य प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य को 40 हजार रुपए की दर से प्रारंभिक पूंजी प्रदान की जाएगी. अनुदान के रूप में प्रारंभिक पूंजी एसएसजी फेडरेशन के स्तर पर दी जाएगी जो एसएचजी के माध्यम से ऋण के रूप में सदस्यों को दी जाएगी.

ब्रांडिंग व बिक्री सहायता भी मिलेगी:उन्होंने बताया कि साझा पैकेजिंग और ब्रांडिंग विकसित करने, गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण का विकास करने और उपभोक्ता फुटकर बिक्री के लिए, फूड सेफ्टी पैरामीटरों का पालन करने के लिए ओडीओपी दृष्टिकोण अपनाते हुए योजना के तहत एफपीओ, एसएचजी व सहकारिताओं अथवा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को ब्रांडिंग और बिक्री सहायता दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इन संगठनों को सहायता उनके द्वारा तैयार की गई डीपीआर और राज्य नोडल एजेंसी द्वारा दिए गए अनुमोदन के आधार पर दी जाएगी. ब्रांडिंग और विपणन के लिए सहायता कुल व्यय की 50 फीसदी तक सीमित होगी.

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