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HRMN-99 सेब उगाने के बाद हरिमन शर्मा तैयार करेंगे एवोकैडो की पौध, राष्ट्रपति के हाथों हो चुके हैं सम्मानित

प्रगतिशील बागवान हरिमन शर्मा के बागीचे में लगा दक्षिण अफ्रीका से मंगाया गया एवोकैडो का पौधा अब फल देने लगा हैं. पौधे में करीब 100 से ज्यादा फल लगे हैं. हरिमन शर्मा इसके लिए बड़ा बगीचा तैयार करेंगे और प्रदेशवासियों को एवोकैडो की खेती के लिए प्रेरित करेंगे.

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Published : Jun 29, 2019, 5:58 AM IST

Hariman Sharma will prepare avocado plant after growing HRMN-99 apples

बिलासपुर: गर्म इलाके में सेब की एचआरएमएन-99 वैरायटी की अपार सफलता के बाद राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित प्रगतिशील बागवान हरिमन शर्मा अब एवोकैडो की पौध विकसित करने में जुट गए हैं. दक्षिण अफ्रिका से मंगवाए गए एवोकैडो के पौधे ने फल देना शुरू कर दिए हैं और पौधे में 100 से ज्यादा फल लगे हैं.

हरिमन शर्मा की मानें तो वो एवोकैडो का एक बहुत बड़ा बगीचा तैयार करेंगे और प्रोटीनयुक्त व रोगनाशक एवोकैडो की खेती के लिए प्रदेश के लोगों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित भी करेंगे. उन्होंने कहा कि एवोकैडो अमूमन दक्षिणी अफ्रिका में पाया जाता है. वैसे इस प्लांट की शुरूआत मैक्सिको से हुई थी.

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मंडी से ताल्लुक रखने वाले पर्यावरण प्रेमी डॉ. परमार ने दक्षिणी अफ्रिका से पौधे मंगवाए थे और उन्हें दो पौधे उपलब्ध करवाए थे. इनमें से एक मृत पाया गया, जबकि दूसरे पौधे ने अब फल देना शुरू कर दिए हैं. विशेषज्ञों से ली गई जानकारी के तहत एवोकैडो एक गुणवत्तायुक्त फल है जिसमें शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रॉल सहित अन्य घातक रोगों से लड़ने की ताकत है. इस फल में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है. इसके साथ ही इसमें 18 तत्व हैं जिसमें कैल्शियम, मैग्रिशियम और कारबोहाईड्रेट्स इत्यादि शामिल हैं.

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हरिमन शर्मा के मुताबिक यह पौधा दक्षिणी भारत में भी है. लेकिन हिमाचल में पहली बार इंट्रोड्यूज हुआ है. इसलिए वह एवोकैडो की बड़े स्तर पर खेती करेंगे और पूरे प्रदेश भर में इसकी खेती के लिए लोगों को प्रोत्साहित एवं प्रेरित करेंगे. इसकी खेती से बेरोजगार युवा आर्थिकी सुधार सकेंगे तो वहीं, घातक रोगों से जूझ रहे लोगों के लिए भी यह फल रामबाण साबित होगा.

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आपको बता दें कि इससे पहले 1999 में हरिमन शर्मा ने गर्म इलाकों में होने वाले सेब की खास वैरायटी खोजी थी. इस वैरायटी का नाम एचआएएमएन-99 सेब रखा है. देश के कई राज्यों में करीब 47 डिग्री तापमान की गर्मी में भी इस वैरायटी ने शानदार रिजल्ट दिए हैं. हरिमन शर्मा के अनुसार यह वैरायटी तीन साल में ही फल देने लगती है. लेकिन प्रति पेड़ से एक क्विंटल तक की पैदावार लेने के लिए करीब दस साल का समय लगता है.

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