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हंबोट पंचायत मामले की खबर छपते हरकत में आया प्रशासन, DC ने दिए जांच के आदेश

हंबोट पंचायत में चार सरकारी कर्मचारियों ने राजीव गांधी अन्न योजना के तहत गरीबों का राशन हड़कने के मामले पर डीसी राजेश्वर गोयल ने हस्तक्षेप शुरू कर दिया है. डीसी ने बताया कि उनके ध्यान में मामला आया हुआ है. अगर सही मायने में ऐसा हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी.

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Published : Apr 30, 2020, 4:15 PM IST

DC Bilaspur Rajeshwar Goel
डीसी बिलासपुर

बिलासपुर:घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली हंबोट पंचायत में चार सरकारी कर्मचारियों ने राजीव गांधी अन्न योजना के तहत गरीबों का राशन हड़कने के मामले पर डीसी राजेश्वर गोयल ने हस्तक्षेप शुरू कर दिया है. डीसी ने तुंरत प्रभाव से एसडीएम घुमारवीं को जांच के आदेश जारी कर दिए है.

साथ ही उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट भी मांगी है. डीसी ने बताया कि उनके ध्यान में मामला आया हुआ है. अगर सही मायने में ऐसा हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि केंद्र सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीब परिवारों को अप्रैल 2013 में राजीव गांधी अन्न योजना शुरू की गई है. इसमें गरीब परिवारों को पंचायतों में शामिल किया गया है.

वीडियो रिपोर्ट

घुमारवीं उपमंडल की हंबोट पंचायत से शिक्षा विभाग में सेवारत दो और आईपीएच विभाग में सेवारत दो कर्मचारी स्थानीय डिपो से सस्ता राशन लेकर खा रहे हैं. इसका खुलासा उस समय हुआ जब कोरोना महामारी के कारण सरकार ने गरीब परिवारों को दो महीने का एक साथ फ्री राशन देने के आदेश दिए. हंबोट डिपो से जब ग्रामीणों ने चार सरकारी कर्मचारियों को राशन के भरे थैले को ले जाते हुए देखा तो वह दंग रह गए.

जानकारी के अनुसार राजीव गांधी योजना के तहत गरीब परिवारों को प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम राशन, दो रूपये गेंहू, तीन रूपये किलोग्राम चावल और 13 रूपये किलोग्राम चीनी मिलती है. शिक्षा विभाग में सेवारत एक कर्मचारी सेवानिवृत्त पर पहुंच गया है और एक दस महीने से सरकारी नौकरी कर रहा है. हालांकि, इस योजना से वंचित एक ग्रामीण ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1100 पर कर दी गई.

हंबोट पंचायत प्रधान नरेश कुमारी धीमान ने कहा कि जिलाधीश कार्यालय से आए फोन के बाद पंचायत ने जांच की है और चार सरकारी कर्मचारियों के नाम राजीव गांधी अन्न योजना का काटने के आदेश संबंधित विभाग को कोटने के दिए गए हैं. यह पूर्व पंचायत ने 2013 में डाले गए हैं जोकि नियुमानुसार गलत हैं.

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