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अनदेखी का शिकार शहीद का परिवार, दो साल बाद भी पूरी नहीं हुई मांग

शहीद का परिवार सरकार और प्रशासन की उदासीनता का शिकार हो रहा है. दो साल बाद भी सरकार ने शहीद के परिवार की मांगों को पूरा नहीं किया है.

शहीद का परिवार

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Published : Jul 26, 2019, 3:09 PM IST

सोनीपत: देश में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है जो शहीदों के लिए सम्मान की बात है, लेकिन सरकार कुछ शहीदों के परिवार को भूल चुकी है. एक ऐसा ही मामला सोनीपत के गांव जैनपुर से सामने आया है. जहां पर 24 अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में नरेश कुमार शहीद हुए थे. शहीद के परिवार का सरकार पर गंभीर आरोप है. शहीद के परिवार ने कहा कि सरकार के नेताओं ने सिर्फ वादे ही किए और एक भी वादा पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने गांव में एक प्रतिमा बनाना और गांव के मुख्य द्वार पर एक गेट बनाकर उस पर फोटो लगाने का वादा किया था, लेकिन 2 साल बीत गए सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया. वहीं अब घर का गुजारा शहीद की पेंशन और बेटी की सिलाई से ही चल रहा है.

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सुकमा में शहीद हुए थे नरेश कुमार

आपको बता दें कि 2 साल पहले 24 अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमला हुआ था. जिसमें सोनीपत के गांव जैनपुर निवासी नरेश कुमार शहीद हो गए थे. शहीद होने के बाद सरकार के आला मंत्री और प्रशासन उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था और घर वालों को सभी सुविधाएं और आर्थिक मदद देने की बात कही थी, लेकिन शहीद के परिजनों ने गांव में एक शहीद की प्रतिमा और मेन गेट बनाकर उस पर फोटो लगाने की बात कही थी जिस पर अधिकारियों और नेताओं ने आश्वासन दिया था कि इसे जल्द से जल्द पूरा करवाया जाएगा लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी सरकार और अधिकारियों द्वारा किया गया एक भी वादा पूरा नहीं हुआ. जिसके बाद शहीद के परिजनों में गुस्सा है और उन्होंने सरकार को कोसा है और कहा कि जब वादा पूरा ही नहीं करना था तो वादा क्यों किया. शहीद की बेटी ने तो इसे शहीदों का अपमान तक बता दिया.


दो साल बाद भी नहीं लगी प्रतिमा

शहीद नरेश कुमार की धर्मपत्नी राजबाला ने बताया कि जिस समय उनके पति शहीद हुए थे. घर पर पूरा प्रशासन पहुंचा था और उनसे वादा किया गया था कि सरकार के द्वारा आर्थिक और जो भी वो मांग करेंगे पूरी की जाएगी, लेकिन हमारी तरफ से गांव में एक प्रतिमा और मेन द्वार बनाकर शहीद की फोटो लगाने की मांग रखी गई थी. जिसे पूरा करने की बात कही थी, लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी मांग पूरी नहीं हुई.

बेटी ने बताया शहीदों का अपमान

वहीं राजबाला ने बताया कि अब घर का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से हो रहा है. शहीद की पेंशन और बेटी की सिलाई से ही गुजारा चल रहा है. शहीद की बेटी ने बताया कि पहले वो सभी प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन हालात खराब होने के कारण अब सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं. वहीं शहीद की बेटी ने कहा कि सरकार ने उस समय वादे किए थे तो पूरा भी करना चाहिए था ऐसे में तो शहीदों का अपमान हो रहा है.

पूरे मामले के बाद एक बात तो साफ है कि सरकार कितने भी अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन जब हकीकत सामने आती है तो अधिकारियों या नेता पैर पीछे हटा लेते हैं. बहरहाल अब देखना होगा कि इस परिवार की तरफ सरकार कब तक ध्यान देगी और इनकी मांगों को पूरा करेगी या सिर्फ महज ये अधिकारियों नेताओं के घरों के चक्कर लगाते रहेंगे और इन आश्वासन ही मिलता रहेगा.

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