रोहतक:भारत सरकार ने विश्ववारा कन्या गुरुकुल रुड़की (रोहतक) की आचार्य डॉ. सुकामा को पद्मश्री अवॉर्ड देने का ऐलान किया है. डॉ सुकामा ने अपना तमाम जीवन लड़कियों को गुरुकुल पद्धति के जरिए शिक्षा में गुजार दिया. वे महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम योगदान दे रही हैं. डॉ. सुकामा ने गुरुकुल शिक्षा पद्धति को बढावा दिए जाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति से समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं. यह अनिवार्य और उपयोगी शिक्षण व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र को वैदिक संस्कृति की बदौलत ही सही दिशा दी जा सकती है.
डॉ. सुकामा ने कहा कि उनके जीवन का मकसद गुरुकुल पद्धति से लड़कियों को शिक्षा और संस्कार देते हुए आत्मनिर्भर बनाना है. उन्होंने कहा कि लड़कियां आकाश की ऊंचाई को छूएं लेकिन वह काल्पनिक ना हो. सुकामा ने आज के समय में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की वकालत करते हुए कहा कि गुरुकुल संस्कृति आज नष्ट नहीं हैं. काफी गुरुकुल ऐसे हैं, जो आचार्यों के निर्देशन में चलते हैं और पुराने गुरुकुलों की पद्धति पर ही चलते हैं.
गुरुकुल में शिक्षा हासिल करने वाले सभी दुष्प्रभावों से दूर रहते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक वैद की संस्कृति घरों में नहीं आएगी तब तक परिवार का वातावरण कभी अच्छा नहीं बन पाएगा. जब माता-पिता अपने बड़ों की सेवा करेंगे तो उनके बच्चे भी अपने माता-पिता की सेवा करेंगे. तभी उनके जीवन में परिवर्तन आएगा.
सुकामा का जन्म झज्जर जिले के आकपुर गांव में 1 अक्टूबर 1961 को हुआ था.