पानीपत: 25 दिसबंर का दिन देश और दुनिया के लिए बेहद खास दिन है. इस दिन न क्रिसमस फेस्टिवल मनाते हैं बल्कि इस दिन को सुशासन दिवस के रूप भी मनाया जाता है. अब आप यह सोच रहे होंगे कि सुशासन दिवस क्या है. दरअसल, भारत रत्न स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाया (Former PM Atal Bihari Vajpayee birthday) जाता है.
Haryana Special Story: चिमन की कचौड़ी छोले के अटल बिहारी वाजपेई क्यों थे दीवाने, भाषणों में भी होता था जिक्र
25 दिसबंर को भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई का जन्मदिन मनाया जाता है. अटल बिहारी वाजपेई का जुड़ाव पानीपत से गहरा रहा है. चलिए जानते हैं कि कौन सी वो यादें हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री को पानीपत से जोड़ती है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्म दिवस (former Prime Minister of India) पर आज हम आपको बताएंगे पानीपत से जुड़ी उनकी रोचक यादें. दरअसल, अटल बिहारी वाजपेई औद्योगिक नगरी पानीपत के चिमन लाल की कचौड़ी-छोले के बेहद दीवाने थे. जब भी वह पानीपत आते थे तो वह पूरी-छोले का स्वाद जरूर चखते थे. बता दें कि पानीपत के ऐतिहासिक किले पर 100 साल से भी अधिक एक पूरी छोले की दुकान है. इसी किले पर पहले आरएसएस का दफ्तर हुआ करता था. जब भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई यहां बने संघ के दफ्तर पहुंचते थे तो चिमन लाल के कचौड़ी छोले का नाश्ता जरूर करते थे. एक दिन तो वह चिमन पूरी छोले वाले की दुकान पर ही पहुंच गए. और उस दिन के बाद से ही चिमन लाल कचौड़ी वाले की दुकान की किस्मत चमक उठी. उनके आने के बाद से ही चिमन लाला की दुकान में ग्राहकों की भीड़ भी लगातार बढ़ने लगी.
क्यों थे चिमन की पूरी छोले के दीवाने:कहते हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई सात्विक भोजन के दीवाने थे. चिमन लाल पूरीवाला अपने भोजन में बिना लहसुन प्याज की सब्जियां बनाते थे. उनके खाना में बिल्कुल घर के खाने का स्वाद था. पूरी छोले खाते ही उन्हें घर की याद आने लगती थी. यही कारण है कि अटल बिहारी वाजपेई जब भी पानीपत आते थे तो चिमन लाल के पूरी छोले का स्वाद जरूर चखते थे.