पानीपत:लगातार हो रहे प्रदूषण (pollution increase in panipat)से हवा के दबाव के कारण धुआं और धूल स्मॉग का रूप ले रहे हैं. इन दिनों पड़ने वाली स्मॉग स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रही है दमा रोगियों को इन दिनों सबसे अधिक परेशानी हो रही है आंख और छाती के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रहे हैं. इन दिनों सरकारी अस्पताल में दमा और छाती रोग के रोजाना ओपीडी 50 से ज्यादा आ रहे हैं.
पानीपत में बढ़ रहे प्रदूषण से बनी स्मॉग की लेयर, अस्पतालों में बढ़ी दमा रोगियों की संख्या
धूल-धुआं और धुंध मिक्स होने से वातावरण में स्मॉग बन गया. छोटे-छोटे कण इकट्ठे होने से चादर सी बन गई है. पानीपत में प्रदूषण (Pollution In Panipat) बढ़ने की वजह से सांस के दमा के रोगियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सामान्य दिनों में ओपीडी की संख्या लगभग 20 से 25 थी स्मॉग से एलर्जी के रोगी भी बढ़ रहे हैं. आंखों में जलन के साथ एलर्जी हो रही है. ऐसे में हर रोज 35 मरीज आ रहे हैं. पीएमओ डॉक्टर संजीव ग्रोवर ने बताया की लागतार बड़ रहा प्रदूषण स्मॉग का मुख्य कारण है. लोगों को सलाह है कि सुबह व शाम सैर करने से बचें. मास्क का प्रयोग करें स्मॉग से हार्ट, टीबी व किडनी के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है.
पानीपत में पिछले 3 एयर क्वालिटी 300 से ज्यादा दर्ज की गई है. आज जो AQI 304 दर्ज की गई है वो भी बेहद खराब है. बढ़ रहे स्मॉग को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दो बार एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी और नगर निगम को शहर में सड़कों व पेड़ पौधों पर पानी का छिड़काव करने के निर्देश दे चुके हैं लेकिन अब तक उनके निर्देशों पर गंभीरता से काम नहीं हुआ. इसलिए शहर की सड़कों पर धूल उड़ रही है और स्मॉग बन रहा (Smog In Panipat) है. यही स्मॉग पानीपत के अस्पतालों में दमा के रोगियों की संख्या बढ़ा रहा (respiratory patients increased in Panipat) है.
वहीं पीएमओ संजीव ग्रोवर ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने से सबसे ज्यादा सांस के रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन दिनों हॉस्पिटल में इस तरह के केस सबसे ज्यादा आ रहे हैं. प्रदूषण की वजह से आंखों में एलर्जी हो जाती है लेकिन ज्यादार इसकी वजह से सांस के रोगियों को ही सामना करना पड़ता है. अलग प्रभाव नहीं है सभी के लिए प्रभाव बराबर है.