पलवल:1999 में हुई कारगिल की लड़ाई में भारत ने विजय हासिल की थी. देश के सैकड़ों जवान इस लड़ाई में शहीद हुए थे. इसी लड़ाई में हरियाणा के पलवल जिले के गांव गढ़ी पट्टी निवासी लांस नायक राजवीर सिंह भी शहीद हो गए थे. करगिल लड़ाई को लेकर देश में प्रतिवर्ष करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. रविवार को करगिल शहीद राजवीर सिंह की प्रतिमा पर युवाओं ने फूल माला अर्पित कर मनाया और शहीदों को नमन किया. युवाओं ने शहीद राजवीर सिंह के नाम से अधूरा पड़ा स्टेडियम को बनाने की मांग की है.
शहीद के भाई प्रताप सिंह ने बताया कि कारगिल की लड़ाई एक अहम लड़ाई थी और इस लड़ाई में शहीद राजवीर सिंह ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. राजवीर सिंह ने अपने परिवार, अपने गांव व जिले के साथ-साथ प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है. हमें उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाना चाहिए क्योंकि हम तो अपने घरों में सोते रहते हैं और देश की रक्षा के लिए हमारे जवान दुश्मनों की गोली सीने पर खाते हैं.
उन्होंने कहा कि शहीदों की याद में प्रतिवर्ष गढ़ी पट्टी गांव में रागनियां कराई जाती है, लेकिन अबकी बार कोरोना की वजह से रक्तदान शिविर लगाया गया. शहीद राजवीर सिंह दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद 11 मार्च 1988 को भारतीय सेना में भर्ती हुए, वो 17 जाट रेजीमेंट में थे. प्रताप सिंह ने बताया कि शहीद राजवीर सिंह का खेलों की तरफ काफी रुझान था और सामाजिक कार्य में बहुत रूचि रखते थे. उनका लोगों के प्रति व्यवहार काफी सकारात्मक था. वो शुरू से ही राष्ट्रहित के कार्यों की तरफ उनका रुझान था. दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद वह फौज में भर्ती हो गए थे. 7 जुलाई 1999 को राजवीर सिंह कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हो गए. उनके सीने में 7 गोलियां लगी थी.