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प्रदेश में भावांतर भरपाई योजना का हाल-बेहाल, पलवल में किसानों को नहीं है योजना का ज्ञान

सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की सब्जियों और फलों की कीमतों को संरक्षण देकर बाजार में कीमतों में होने वाले उतार चढ़ाव को लेकर किसानों की जोखिम को कम करना है.

Bhavantar Bharpaai Yojana
Bhavantar Bharpaai Yojana

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Published : Dec 12, 2019, 1:25 PM IST

पलवलःप्रदेश के लोगों को सहूलियत देने और लोगों की परेशानियों कम करने के लिए सूबे की सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं. लेकिन उन योजनाओं की जमीनी हकीकत क्या है, लोगों के बीच योजनाएं कितनी साकार हो रही है. ये जानने वाली बात है. इसी के तहत आज हम जानेंगे पलवल जिले में भावांतर भरपाई योजना कितनी कारगर साबित हो रही है.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की सब्जियों और फलों की कीमतों को संरक्षण देकर बाजार में कीमतों में होने वाले उतार चढ़ाव को लेकर किसानों की जोखिम को कम करना है. इसके तहत सरकार सब्जियों और फलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है और अगर उससे कम मूल्य पर किसान अपनी फसल को बेचने को मजबूर होता है तो तय मूल्य के बाकी रकम की भुगतान सरकार करती है.

बुरा है भावांतर भरपाई योजना का हाल, पलवल में किसानों को नहीं है ज्ञान.

कौन ले सकता है योजना का लाभ ?
प्रदेश में आलू, फूल गोभी, प्याज और टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए प्रदेश सरकार ने 1 जनवरी 2018 को ये शुरू की थी. वहीं 13 नवंबर 2019 को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस योजना का विस्तार करने का फैसला लिया और इसके तहत चार और सब्जियों बैंगन, गाजर, शिमला मिर्च, मटर और दो फलों अमरूद और किन्नू को भी शामिल कर लिया गया है.

भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम

संरक्षित मूल्य

(रुपये प्रति क्विंटल )

निर्धारित उत्पादन

(क्विंटल प्रति एकड़)

आलू 500 120
प्याज 650 100
टमाटर 500 140
फूलगोभी 750 100
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर 1100 50

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कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेन कराना होता है. इसके बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.

किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सर्व सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्किटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है.

वहीं फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

भावांतर भरपाई योजना के तहत महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम रजिस्ट्रेशन की अवधि सत्यापन की तारीख सत्यापन के विरुद्ध अपील की अवधि बिक्री की तारीख
आलू 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक 15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
प्याज 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल - 31 मई
टमाटर 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल- 15 जून
फूल गोभी 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक 15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
किन्नू 1 सितंबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
गाजर 1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
मटर 1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) को भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.
  • प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंकड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

जमीन पर क्या है योजना की हकीकत ?
योजना के बारे में बताई गई सारी बातें देखने और सुनने में बहुत अच्छी लग रही हैं. लेकिन किसान योजना का लाभ तो तब ले पाएगा जब उसको इसके बारे में जानकारी हो. इसी को लेकर जब हमने पलवल जिले के किसानों से बातचीत की तो ज्यादातर किसान योजना से अनजान नजर आएं.

किसानों ने बताया की वह पिछले कई सालों से इन सब्जियों की खेती कर रहे हैं. लेकिन आज तक उनको इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है नाही प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की जानकारी या मदद उनको दी जाती है किसानों ने बताया कि मंडी में आढ़ती का जो मनमानी भाव उनको मिलता है. उसी भाव में सब्जियों को बेच कर अपना गुजारा कर रहे हैं.
पलवल जिले के बागवानी विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार किसानों ने फूल गोभी के लिए 84 रजिस्ट्रेशन और आलू के लिए 80 रजिस्ट्रेशन, गाजर के लिए 1 रजिस्ट्रेशन और मटर के लिए 106 रजिस्ट्रेशन कराएं गए हैं. पलवल जिले में किसान भारी संख्या में सब्जी की खेती करते हैं. लेकिन अगर रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों की बात करें तो बेहद कम संख्या में किसानों में यहां रजिस्ट्रेशन कराया है. जबकि कई हजार किसान पूरे जिले में सब्जी की खेती कर रहे हैं.

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