नूंह: करीब 1200 सालों का इतिहास समेटे मेवों का क्षेत्र मेवात कई ऐतिहासिक कहानियों और किलों की गाथा गाता है. ऐसी ही ऐतिहासिक कहानियों की खोज में हमारी टीम पहुंची अरावली पर्वत के बीच कोटला गांव में. ऊंचाई पर बने कोटला किले का जायजा लेने के लिए हमारी टीम ने जान जोखिम में डाल कर उबड़-खाबड़ पहाड़ के रास्ते को पार करते हुए किले तक का सफर तय किया. करीब 1 घंटे की दुर्गम रास्ते पर चलने के बाद हम पहुंच गए पहाड़ की चोटी पर 1300 ईसवीं में बने नवाब नाहर खान के किले में.
किले मचानों से रखी जाती थी दुश्मन पर नजर!
नवाब नाहर खान ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए हजारों फुट ऊंचाई पर किले का निर्माण करवाया था. किले के चारों तरफ निगरानी के लिए मचाने बनवाई गई हैं. इस किले में सुरंग से लेकर घुड़साल और तालाब भी बनवाया गया था. कोटला गांव के चारों तरफ बड़ी, चौड़ी और ऊंची दीवार थी. किले पास ही सदियों से पानी के प्राकृतिक झरने बहते हैं.
युद्ध में हसन खान ने दिया था राणा सांघा का साथ
नाहर खान वंशज शहीद राजा हसन खान मेवाती थे, जिनके नाम पर आज मेडिकल कॉलेज का नामकरण सूबे की सरकार कर चुकी है. बताया जाता है कि हसन खान मेवाती ने राणा सांघा और बाबर के बीच जो युद्ध हुआ था, उसमें हसन खान मेवाती ने बाबर का नहीं बल्कि राणा सांघा का साथ दिया था. उस वीर शहीद को आज भी लोग मेवात में याद करते हुए सीना चौड़ा कर लेते हैं, देशभक्ति के साथ-साथ हिन्दू-मुस्लिम भाई-चारे को उस समय भी हसन खान मेवाती ने बढ़ाया था.
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