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Published : Mar 13, 2020, 7:57 PM IST

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बदबूदार, केमिकल युक्त पानी से सिंचाई करने को मजबूर किसान

नूंह के किसानों ने आरोप लगाया है कि उनके खेतों में सिंचाई करने वाला पानी काला, बदबूदार और केमिकल युक्त आ रहा है. इस काले, केमिकल युक्त पानी की वजह से साफ पानी देने की गुहार सड़क से लेकर विधानसभा तक उठा चुके हैं, लेकिन सिंचाई विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. विस्तार से पढ़ें.

Farmers of Nuh irrigate fields with chemical-ed and polluted water
गंदे पानी से खेतों की सिंचाई करने पर मजबूर है नूंह का किसान

नूंह: जिले के नहरों, रजवाहा डिस्ट्रीब्यूटरी में काला, बदबूदार और केमिकल युक्त पानी सप्लाई किया जा रहा है. जिससे किसान बेहद परेशान है. किसान इस पानी से अपनी फसलों की सिंचाई करता है तो उसे खेती के खराब होने का डर सताता रहता है.

इसके अलावा उनके स्वास्थ्य पर भी इस बदबूदार पानी का बुरा असर पड़ रहा है, लेकिन सूखती हुई खेती को इसी पानी से सींचना किसान की मजबूरी है. यह पानी पशुओं के पीने के लायक भी नहीं है.

नहर में बहता हुआ यह काला पानी, पानी नहीं बल्कि काला आयल जैसा दिखाई देता है. नहर में कीचड़ भी पूरी तरह से काली हो चुकी है तो नहर की साइड में भी कालापन साफ देखा जा सकता है.

नूंह में बदबूदार, केमिकल युक्त पानी से सिंचाई करने को मजबूर किसान.

किसानों से लेकर नूंह जिले के नेता पिछले कई सालों से मेवात की नहरों में आने वाले इस काले केमिकल युक्त पानी की वजह से साफ पानी देने की गुहार सड़क से लेकर विधानसभा तक उठा चुके हैं, लेकिन सिंचाई विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

'इस पानी से सब्जियां हो सकती हैं दूषित'

सबसे बड़ी बात तो यह है कि खेती में इस तरह के पानी से सिंचाई करने की वजह से न केवल सब्जी फसलों तथा गेहूं की खाने से भी कई प्रकार की नई-नई बीमारियों से इनकार नहीं किया जा सकता. किसान पानी की सिंचाई करें तो परेशान, अगर ना करें तो परेशान. कुल मिलाकर धरतीपुत्र को सुविधा देने की भले ही बड़ी-बड़ी बातें विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में की जाती हो, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है.

'किसानों ने की साफ पानी की मांग'

नूंह जिले के किसानों को पहले तो पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता, अगर कभी कभार नहरों में पानी आता है, तो वह पानी किसी काम का नहीं है. किसानों ने सरकार से मांग की है कि उनकी नजरों में इस बदबूदार काले पानी की जगह साफ सुथरा पानी भेजा जाए ताकि मछली पालन, पशु पालन, कृषि के अलावा अन्य संसाधनों में भी यह पानी इस्तेमाल किया जा सके.

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