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जज्बे को सलाम: दोनों पैरों से अपाहिज होने के बाद भी किसी के मोहताज नहीं कमलजीत, प्रेरणादायक है इनकी कहानी

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में दोनों पैरों से अपाहिज होने के बावजूद भी कमलजीत (handicapped mechanic of Kurukshetra) किसी के आगे मांगकर खाने की जगह अपने हुनर से अपना पेट भर रहे हैं. किसी के आगे हाथ फैलाने की जगह कमलजीत अपने हुनर से लोगों को अपने पास बुला रहे है. जानें कमलजीत की मोटिवेशनल कहानी.

disabled mechanic Kurukshetra
disabled mechanic Kurukshetra

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Published : Jan 5, 2022, 10:53 PM IST

कुरुक्षेत्र:आज के समय में कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से अपाहिज होने पर भीख मांगना या किसी के सहारे पर जिंदगी काटना बेहतर समझता है. लेकिन कुछ लोग किसी पर बोझ बने बिना अपने स्वाभिमान को ऊपर रखते हुए हाथ के हुनर से अपना पेट भरना मुनासिब समझते हैं. हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के कमलजीत (disabled mechanic Kurukshetra) की. जिन्होंने 20 साल पहले सड़क दुर्घटना में अपने पैर गंवाने के बाद भी हार नहीं मानी और स्वाभिमान को ऊपर रखते हुए अपने हुनर और जज्बे से अपना पेट भर रहे हैं.



कुरुक्षेत्र के रहने वाले 50 वर्षीय कमलजीत ने 20 साल पहले एक्सीडेंट में अपने दोनों पैरों की शक्ति गंवा दी थी. उससे पहले कमलजीत मोटरसाइकिल ठीक करने का काम करते थे. लेकिन जब वह अपने एक्सीडेंट से थोड़े उभरे तो उन्होंने किसी के आगे हाथ पसारने की बजाय खुद काम करके अपना पेट भरना बेहतर समझा. कमलजीत ने बताया कि दुर्घटना के बाद उनके दोनों पैर 70 से 80 फीसदी तक लाचार हो गए थे. जिससे उनको काफी समस्या हुई. अब अगर कमलजीत की परिवारिक हालत की बात करें तो स्थिति काफी खराब है. घर में अकेले होने के बावजूद कमलजीत लोगों के आगे हाथ फैलाने के बजाय खुद मैकेनिक का काम करके अपना गुजारा चला रहे हैं.

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कमलजीत ने (handicapped mechanic Kurukshetra) बताया कि सरकार से भी कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई और ना ही सरकार की तरफ से पेंशन बांधी गई. लेकिन फिर भी वह अपने लिए खुद ही काम करके पैसे कमाते हैं और अपना गुजारा चला रहे हैं. कमलजीत ने बताया कि वो अपने घर से थोड़ी दूर ही एक बेंच पर जाकर बैठ जाते हैं और लोग उनसे अपनी मोटरसाइकिल ठीक करवाने के लिए आ जाते हैं. इस प्रकार महीने में 10 से 12 मोटरसाइकिल ठीक कर उनका गुजारा चल जाता है.

मोटरसाइकिल ठीक करते हुए कमलजीत


कमलजीत के पड़ोस में रहने वाली महिला बीना देवी ने बताया कि जब से एक्सीडेंट के कारण कमलजीत की ऐसी हालत हुई है, तब कुछ दिन तो लोगों ने ही इनकी देखभाल की. लेकिन जब से यह थोड़ा बेहतर हुए तब से उन्होंने किसी से मांगकर खाने की जगह अपने हुनर को तवज्जो दी. वहीं अन्य पड़ोसियों ने भी कहा कि अपनी टांगों से लाचार होने के बावजूद भी यह खुद मैकेनिक का काम करके अपना गुजारा चला रहा है. अगर दूसरे लोगों की बात करें जो कमलजीत की हालत में है, वो काम करने की बजाय दूसरों के आगे हाथ पसारना ज्यादा बेहतर समझते हैं. लेकिन इन्होंने वह काम नहीं अपनाया और खुद ही काम करके अपनी दो वक्त की रोटी कमा रहे हैं.

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बाइक ठीक करवाने के लिए आए अनिल ने बताया कि वो कई सालों से कमलजीत से बाइक ठीक करवा रहे है. क्योंकि कमलजीत का काम उन्हें बहुत अच्छा लगता है और साथ ही कमलजीत को भी सहारा मिल जाता है. वो कहते हैं ना जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर होती है, मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत. कमलजीत जैसे लोग ना सिर्फ अपाहिजों के लिए बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल कायम करते है, जो अपने हाथ पैर सलामत होने के बावजूद भी मेहनत करने से जी चुराते है. सलाम है कमलजीत के जज्बे को.

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