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इको फ्रेंडली दिवाली के लिए NDRI की पहल, गाय के गोबर से बनाए दीए और मूर्तियां, जानें खासियत

पर्यावरण को ध्यान में रखकर नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल (National Dairy Research Institute Karnal) ने इको फ्रेंडली दिवाली की पहल की है. एनडीआरआई ने गाय के गोबर से प्रदूषण रहित मूर्तियां व दीए बनाए हैं.

ndri made eco friendly diyas
ndri made eco friendly diyas

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Published : Oct 23, 2022, 7:14 PM IST

करनाल: नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल (National Dairy Research Institute Karnal) ने इको फ्रेंडली दिवाली की पहल की है. एनडीआरआई ने गाय के गोबर से प्रदूषण रहित मूर्तियां व दीए बनाए हैं. ये दीए और मूर्तियां ना केवल आसानी से नष्ट हो जाएंगे, बल्कि इन्हें गमले या बगीचे में डालने से इनमें से अपने आप ही फलदार पौधे और सब्जियां अंकुरित होने लगेंगे. ये विचार जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान डॉक्टर आशुतोष का है.

जिनका मानना है कि गाय के गोबर को शुद्ध माना जाता है. उन्होंने कहा कि हम पूजा पाठ में अक्सर गाय के गोबर (ndri made diyas from cow dung) का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब इसी गोबर से दीपक व मूर्तियां (ndri made idols from cow dung) बनाई जा रही हैं. जिसे जल में प्रवाह करने से जल दूषित नहीं होगा, बल्कि उसमें जो वनस्पतियां हैं, उन्हें खाद मिलेगा. इन मूर्तियों और दीपक में फलों और सब्जियों के बीज भी डाले गए हैं.

इको फ्रेंडली दिवाली के लिए NDRI की पहल, गाय के गोबर से बनाए दीए और मूर्तियां, जानें खासियत

अगर इस्तेमाल के बाद इन्हें गमलों या बगीचे में डाला जाए, तो इनसे फलदार पौधे और सब्जियों के बीज अंकुरित होंगे. इससे पर्यावरण भी अच्छा होगा. साथ में खाने के लिए सब्जियां भी तैयार होगी. उन्होंने कहा कि पहले हम जितनी भी मूर्तियां और दीपक बनाते थे, सभी में रंग भरते थे, लेकिन अब हमने नया आइडिया लगाया. जिसके तहत गाय के गोबर से बने बिना रंग के दीये और मूर्तियां को बेचा जा रहा है.

NDRI ने गाय के गोबर से बनाए दीपक व मूर्तियां

जिसमें जरूरतमंद लोग अच्छी चित्रकारी और रंगभर कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. डॉक्टर आशुतोष ने कहा कि अगर एक परिवार 11 दीपक भी जलाता है, तो प्रति दीपक बनाने पर 20 ग्राम मिट्टी लगती है. 11 करोड दीपक बनाने पर 22000 क्विंटल मिट्टी लगती है. एक क्विंटल मिट्टी को 900 डिग्री सेंटीग्रेड पर पकाने के लिए लकड़ी की ईंधन मात्रा 533 किलोग्राम लगती है. इसी प्रकार 2200 क्विंटल मिट्टी को पकाने के लिए पौने दो लाख केवल इंधन की जरूरत पड़ती है.

इको फ्रेंडली दीए और मूर्तियां खरीदती महिलाएं.

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1 क्विंटल लकड़ी को जलाने पर 175 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है साथ में मिट्टी से बने दिए हजारों वर्ष मिट्टी में नष्ट नहीं होते, लेकिन गोबर के लिए बनाने पर ना तो इंधन की जरूरत पड़ेगी और ना ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे. यहां बनाए गए दीपक का रेट ₹2 से लेकर ₹5 तक है और गणेश की मूर्तियों का रेट 150 रुपये तक रखा गया है. इसको खरीदने के लिए ग्राहक भारी संख्या में पहुंच रहे है.

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