जींदःकोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण हर क्षेत्र में कारोबार पर काफी असर पड़ा है. सब्जी की खेती भी इससे अछूती नहीं है. जिस सब्जी से किसानों को अच्छी खासी आय मिलती थी, सब्जी मंडी में अब उसका कोई खरीदार नहीं है.
किसानों को नहीं मिल रहे खरीदार
अमूमन हर साल इन दिनों में खीरे की बाजार में अच्छी डिमांड होती थी. भाव भी प्रति किलो 15 से 20 रुपए मिल जाता था लेकिन इस बार सब्जी मंडी में उन्हीं खीरों को कोई भी 2 से 3 रुपए किलो के हिसाब से भी खरीदने को तैयार नहीं है.
लॉकडाउन के चलते जींद में सब्जी किसानों को बड़ा नुकसान किसानों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वे इस फसल का स्टॉक भी नहीं कर सकते हैं. वहीं तैयार होने के बाद खीरे को बेल से न तोड़ने पर पूरी बेल के खराब होने का खतरा रहता है. यही हाल बैंगन और दूसरी बाकी सब्जियों का भी है.
पशुओं के आगे सब्जियां फेंक रहे किसान
हालात ये हो गए हैं कि किसानों को सब्जी मंडी में ही पशुओं के आगे खीरे और बैंगन फेंक कर जाना पड़ रहा है. वहीं किसान गौशालाओं में भी सब्जियों को दे रहे हैं. किसानों ने अब ज्यादातर फसलों को उखाड़ना भी शुरू कर दिया है. इसकी जगह किसान आगे के लिए दूसरी फसल उगाने की सोच रहे हैं ताकि हुए नुकसान की कुछ भरपाई की जा सके.
किसानों को हुआ भारी नुकसान
सब्जी उत्पादक किसानों की मानें तो प्रति एकड़ के हिसाब उन्हें इस बार 1 लाख 50 हजार रुपए तक का नुकसान हुआ है. कई महीनों तक फसल को तैयार करने के लिए की गई मेहनत भी बर्बाद हो गई है.
जींद जिले में अहिरका और अमरहेड़ी गांव के लगभग सभी किसान सब्जी की खेती करते हैं और करीब एक दर्जन से अधिक गांव के 20% किसान सब्जी उगाते हैं और जींद की सब्जी मंडी में उन्हें बेचते हैं. ऐसे में इस लॉकडाउन से जींद जिले के सब्जी किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान है.
ये भी पढ़ेंः-यमुनानगरः लॉकडाउन से चलते एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री को अरबों का नुकसान