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हिसार: नई शिक्षा नीति के विरोध में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ का धरना

नई शिक्षा नीति के विरोध में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने हिसार में धरना देकर रोष प्रकट किया. हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के नेताओं ने कहा कि इस नई शिक्षा नीति में शिक्षा को नाश करने के अलावा कुछ नहीं है.

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नई शिक्षा नीति के विरोध में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने धरना देकर जताया रोष

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Published : Sep 5, 2020, 10:10 PM IST

हिसार: शनिवार को हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने नई शिक्षा नीति के विरोध में लघुसचिवालय पर धरना दिया और माननीय राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. धरना की अध्यक्षता जिला प्रधान सुरेंद्र सैनी ने की व संचालन जिला सचिव पवन कुमार ने किया.

अध्यापक संघ के राज्य वरिष्ठ उपप्रधान जयवीर सिंह ने बताया कि इस नई शिक्षा नीति में शिक्षा को नाश करने के अलावा कुछ नहीं है. इसमें केवल शिक्षा को निजी हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है. ढांचागत परिवर्तन किसी तरह भी जायज नहीं है. बेसिक शिक्षा निजी हाथों में देना सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि अध्यापक संघ ने पूर्व में जारी ड्राफ्ट के अनुसार भी अपने सुझाव भेजे थे, लेकिन सरकार ने उनको शामिल नहीं किया और बिना स्टेकहोल्डर की राय के इस शिक्षा नीति को लागू करने पर तुली हुई है. जो आम नागरिक के लिए घातक है.

धरना को संबोधित करते हुए राज्य उप महासचिव प्रभु सिंह ने बताया कि यह नीति केंद्रीयकरण, निजीकरण और भगवाकरण को बढ़ावा देती है. समता, समानता और सामाजिक न्याय को नकारती है और राज्य के अधिकारों पर कुठाराघात करती है. उन्होंने कहा कि सेकेंडरी स्तर पर जो सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जा रहा है. वो हरियाणा में पहले ही धूल फांक चुका है.

उन्होंने कहा कि शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 6 प्रतिशत ईमानदारी से खर्च की खर्च किया जाना चाहिए और इसे 10 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए . उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में ड्रॉपआउट रोकने और स्कूल से बाहर के छात्रों को विद्यालय में लाने के लिए कोई योजना नहीं रखी गई है. इसके अलावा मिड डे मील और ब्रेकफास्ट के लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

राज्य उपमहासचिव ने कहा कि अध्यापक भर्ती के लिए नई-नई परीक्षाओं का आयोजन करना तर्कसंगत नहीं है. जो टेट की परीक्षा है और उसके लिए किया गया डिप्लोमा ही पर्याप्त माना जाए. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते सरकार ने दिए गए बिंदुओं का समाधान नहीं किया. तो ये आंदोलन निश्चित तौर पर आगे बढ़ेगा. जिसकी पूर्ण जिम्मेवारी हरियाणा एवं भारत सरकार की होगी.

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