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'अध्यादेश लाकर पीटीआई अध्यापकों की नौकरी बचाए खट्टर सरकार'

शुक्रवार को धरने पर बैठे पीटीआई अध्यापकों को समर्थन देने कांग्रेस प्रवक्ता बजरंग गर्ग हिसार पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पीटीआई अध्यापकों को हर प्रकार से सहयोग का आश्वासन दिया. वहीं सरकार पर पीटीआई को लेकर नियत साफ नहीं होने का आरोप लगाया.

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अध्यादेश लाकर पीटीआई अध्यापकों की नौकरी बचाए खट्टर सरकार

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Published : Jun 25, 2020, 9:40 PM IST

हिसार:कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के निर्देश पर गुरुवार को कांग्रेस प्रवक्तता बजरंग गर्ग पीटीआई अध्यापकों के से मिलने धरना स्थल पर पहुंचे और उन्हें सहयोग का आश्वासन दिया. इस दौरान बजरंग गर्ग सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि पीटीआई अध्यापकों को लेकर सरकार की नियत साफ नहीं है.

कांग्रेस प्रवक्ता बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार जनता को रोजगार देने की बजाए रोजगार छीनने में लगी हुई है. जबकि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पीटीआई अध्यापकों के हक की वकालत करनी चाहिए थी, जो सरकार ने नहीं की.

अध्यादेश लाकर पीटीआई अध्यापकों की नौकरी बचाए खट्टर सरकार

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गर्ग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सरकार को लॉकडाउन खत्म होने के 5 महीने की अवधि में पीटीआई अध्यापकों को हटाने की बजाए पहले परीक्षा लेकर उनकी भर्ती करनी चाहिए थी. जो अध्यापक टेस्ट पास नहीं कर पाते, उनके लिए अध्यादेश लाकर या स्पेशल कानून बनाकर उनकी भी भर्ती करनी चाहिए थी. मगर सरकार ऐसा ना करके तुरंत पीटीआई अध्यापकों को हटाकर अपना कर्मचारी विरोधी चेहरा सामने ला दिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता बजरंग गर्ग ने कहा की अगर सरकार की नियत साफ है, तो सरकार अध्यादेश लाकर पीटीआई अध्यापकों को फिर से नौकरी पर रखे. सरकार की अनदेखी के कारण 1983 पीटीआई अध्यापकों के परिवार महिला और बच्चों सहित कई दिनों से भीषण गर्मी में धरने पर बैठे हैं. जबकि जनता को रोजगार देने की जिम्मेदारी सरकार की होती है.

गर्ग ने कहा कि बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जनता को रोजगार देने का वादा किया था. मगर सरकार जनता को रोजगार देने की बजाए उन्हें उजाड़ने का काम कर रही है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता बजरंग गर्ग ने कहा कि पीटीआई अध्यापकों के हक की लड़ाई कांग्रेस पार्टी विधानसभा और विधानसभा के बाहर लड़ेगी. पीटीआई अध्यापकों के साथ हो रहे अन्याय को सहन नहीं किया जाएगा.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.

बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

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