गुरुग्राम: लॉकडाउन के चौथे चरण में साइबर सिटी में कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट दोबारा से शुरू हो गए हैं, मजदूरों के पलायन के बाद ठेकेदारों के सामने बड़ी समस्या अब लेबर को लेकर है. ठेकेदारों को काम कराने के लिए लेबर नहीं मिल रही. ऐसे में लंबित पड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स को पूरा होने में काफी वक्त लगेगा.
ठेकेदारों का मानना है कि लेबर नहीं मिलने की वजह से ये कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट कई महीनों तक भी लंबित रह सकते हैं. ठेकेदारों ने कहा कि सरकार मजदूरों को जरूरी सुविधाएं नहीं दिला सकी. जिसकी वजह से सभी मजदूर पलायन कर गए और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है.
गुरुग्राम में नहीं शुरू हुआ निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स पर काम बिना मजदूर कैसे होगा निर्माण?
बता दें कि गुरुग्राम में 1 लाख 25 हजार रजिस्टर्ड मजूदर हैं. जिसमें से तकरीबन आधे मजदूर पलायन कर चुके हैं. केंद्र के आर्थिक राहत पैकेज में जरूरतमंद किसानों और मजदूरों के खाते में पैसे डालने की बात कही है. कुछ मजदूरों को ये पैसा मिला भी है, लेकिन वो मजदूरों का खर्च चलाने के लिए नाकाफी थे.
मजदूरों के पलायन के बाद निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की क्या स्थिति है. इसका जायजा लेने ईटीवी भारत हरियाणा की टीम गुरुग्राम के सेक्टर-45 पहुंची. यहां चल रहे निर्माणकार्य का जब जायजा लिया गया तो मिला कि पहले इस साइट पर 35 से 40 मजदूर काम कर रहे थे. अब यहां सिर्फ 5 से 6 मजदूर ही बचे हैं.
इन मजदूरों में से सिर्फ एक के अकाउंट में 5000 रुपये आए आए हैं. बाकी सब अपने घर जाने के लिए रास्ता तलाश रहे हैं. इन मजदूरों का कहना है कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से वो उधारी की जिंदगी जी रहे हैं. हर महीने वो किसी ना किसी व्यक्ति से उधार लेकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं.
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मजदूरों ने कहा कि अगर सरकार उन्हें ढंग से सुविधा मुहैया करा देती तो हमें उधार की जिंदगी ना जीनी पड़ती. फिलहाल जो मजदूर अभी गुरुग्राम में बचे हैं वो यातायात शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं कुछ मजदूर काम की तलाश कर रहे हैं. मजदूरों का मानना है कि अगले 1 महीने तक अगर उद्योग पटरी पर नहीं आया तो वो अपने गृह राज्य चले जाएंगे.