चरखी दादरीःमहिलायें हर क्षेत्र में अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ रही हैं. अब महिलायें बस ड्राइविंग के पेश में भी आगे आ रही हैं.हरियाणा के चरखी दादरी की बहू शर्मिला दिल्ली परिवहन निगम में बस ड्राइवर के पद पर (woman bus driver Delhi) नियुक्त हुई हैं. शर्मिला ने बेटे से साइकिल चलानी सीखी और फिर बाइक चलानी सीखी. जिसके बाद उसके पति ने उसे बड़े वाहन चलाने के लिये प्रेरित किया जिसके चलते वो आज सड़कों पर बसें दौड़ा रही हैं.
ड्राइविंग एक ऐसा पेशा है जिसे समाज पुरुषों से ही जोड़कर देखता है. लेकिन गांव अखत्यारपुरा निवासी शर्मिला ने हैवी ड्राइवर बनकर समाज के सामने नई मिसाल पेश की है. शर्मिला ने कभी ट्रैक्टर ड्राइविंग सीखते समय ताने सुने थे. इन तानों से विचलित नहीं हुई और अब डीटीसी में बतौर चालक काम कर रही हैं. अब वह राजधानी दिल्ली की सड़कों पर (Woman bus river In Delhi) डीटीसी बस दौड़ा रही है. हैवी ड्राइवर बनीं महेंद्रगढ़ की बेटी शर्मिला की आठवीं पास करते ही चरखी दादरी के गांव अखत्यापुरा में शादी हो गई थी.
शादी के बाद शर्मिला ने 10वीं 12वीं पास की. दो बच्चे हुए और जब पति की मजदूरी से काम नहीं चला तो शर्मिला ने सरकारी स्कूल में कुक का काम किया. साथ ही सास के साथ मिलकर भैंस पालकर परिवार का पालन-पोषण किया. एक बार बेटा बीमार हो गया और पति को बाइक चलानी नहीं आती थी. बेटे को लगातार अस्पताल ले जाना था और एक-दो दिन साथ जाने के बाद परिचितों ने भी मना कर दिया. इसके बाद शर्मिला ने हिम्मत दिखा कर बाइक सीखी और अपने बेटे का इलाज करवाया.
जब शर्मिला बाइक या ट्रैक्टर चलाना सीख रही थी तो लोगों के ताने सुनने को मिल रहे थे. लोगों ने उसके मुंह पर बोला कि यह काम पुरुषों का है न कि महिलाओं का. इन तानों को अनसुना कर उसने अपने काम पर ध्यान रखा. शर्मिला की रुचि ड्राइविंग में थी इसलिये उसने 2019 में हरियाणा रोडवेज के ट्रेनिंग सेंटर (Haryana Roadways Training Center) से 35 दिन का बस चलाने का प्रशिक्षण पूरा किया. इस प्रशिक्षण के बाद उसे हैवी लाइसेंस मिला. इस साल जब दिल्ली परिवहन निगम में चालक पद के लिये नौकरी निकली तो शर्मिला ने भी आवेदन किया.
आवेदन के बाद शर्मिला ने टेस्ट पास किये जिसके बाद वो चालक के पद पर चयनित हो गई. 17 अगस्त 2022 को की शर्मिला ने डीटीसी में चालक के पद पर ज्वाइन किया. शर्मिला की कामयाबी पर उसका पूरा परिवार व गांव गौरव महसूस कर रहा है. शर्मिला का कहना है कि ताने देने वाले ही अब उसकी ड्राइविंग की तारीफ करते हैं तो उसे खुशी होती है. वो कहती हैं कि बहू बेटियों को शर्म छोड़ कर अपने काम पर फोकस करना चाहिये.
शर्मिला की चाची सास कमला देवी ने बताया कि शर्मिला ने कड़ा संघर्ष कर ड्राइविंग सीखी है. जिसके चलते वो दिल्ली में डीटीसी की बसें चला रही है. परिवार को शर्मिला पर गर्व है. उन्होंने कहा कि घर के काम शर्मिला की सास व पति करते हैं. समय मिलने पर शर्मिला भी घर के काम मे हाथ बटाती है. ग्रामीण पवन कुमार ने कहा कि शर्मिला ने कड़ी मेहनत व लगन से डीटीसी में बस ड्राइवर की नौकरी पाई है. वो गांव की बहू बेटियों के लिये मिसाल है.
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