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आईपीएस विनोद कुमार पर हरियाणा सरकार की गिरी गाज, समय से पहले किये जाएंगे रिटायर

मनोहर सरकार ने आईपीएस अधिकारी विनोद कुमार को उनकी संदिग्ध निष्ठा के तहत तीन महीने के नोटिस देने के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन पर आरोप था कि, ट्रैफिक विभाग में पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर और नियुक्ति के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग किया था.

manohar lal khattar

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Published : Aug 1, 2019, 2:16 AM IST

चंडीगढ़: मनोहर सरकार ने आईपीएस अधिकारी विनोद कुमार को उनकी संदिग्ध निष्ठा के तहत तीन महीने के नोटिस देने के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह प्रस्ताव हरियाणा सरकार की एक समीक्षा समिति द्वारा दिया गया था, जिसमें 14 आईपीएस अधिकारियों को सरकारी सेवा में बने रहने हेतु फिट पाया गया है.

इन अधिकारियों ने 15 एंव 25 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है और 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है. इन अधिकारियों ने आईपीएस में शामिल होने के बाद 5 वर्ष की सेवा भी पूरी कर ली है. बताया जा रहा है कि 15 आईपीएस अधिकारियों के गोपनीय रिकॉर्ड और उपलब्ध सामग्री का आंकलन करने पर यह पाया गया कि विनोद कुमार को छोड़कर इस कमेटी ने 14 आईपीएस अधिकारियों को सेवा के लिए फिट माना है.

ये अधिकारी बने रहेंगे सेवा में

ये अधिकारी सेवा में बने रहने के लिए उपयुक्त पाए गये. 14 आईपीएस अधिकारियों में विकास धनखड़, कुलदीप सिंह, कृष्ण मुरारी, शिव चरण, बलवान सिंह, राकेश आर्य, सतेंद्र कुमार गुप्ता, बी सथीश बालन, आलोक मित्तल, श्रीकांत जाधव, सुश्री कला रामचंद्रन, नवदीप सिंह विर्क, डॉ० सीएस राव और डॉ० एम० रवि किरण शामिल हैं.

यह था आरोप

आपको बता दें कि, अनिवार्य सेवानिवृति किए गए आईपीएस अधिकारी विनोद कुमार पर आरोप है कि 1 अप्रैल 2015 से 31 जुलाई 2015 तक की उनकी पीएआर में कई खामियां देखने को मिली थीं. उन पर आरोप था कि ट्रैफिक विभाग में विशेष स्थानों पर पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर और नियुक्ति के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग किया था, जिसके बाद सरकार ने विनोद कुमार को हटा दिया था और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही थी.

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