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स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बोले- साल 2016 से मलेरिया से हरियाणा में कोई मौत नहीं

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Published : Jul 13, 2022, 9:22 AM IST

हरियाणा के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने कहा कि मलेरिया को समाप्त करने की दिशा में राज्य के सात जिलों को साल 2021 के दौरान ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ प्राप्त हुआ (Zero Indigenous Case Status) है.

Zero Indigenous Case Status
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बोले- साल 2016 से मलेरिया से हरियाणा में कोई मौत नहीं

चंडीगढ़: हरियाणा के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने कहा कि मलेरिया को समाप्त करने की दिशा में राज्य के सात जिलों को साल 2021 के दौरान ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ प्राप्त हुआ है. इसका मतलब यह है कि राज्य के इन सात जिलों में रहने वाले हरियाणा के निवासियों में मलेरिया बीमारी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि साल 2016 से अब तक राज्य में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु भी मलेरिया से नहीं हुई है.

मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य में वेक्टरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रदेश के शहरी व ग्रामीण इलाकों में फॉगिंग करवाई जाएगी. इसके अलावा राज्य में मलेरिया व डेगूं के मरीजों की सुविधा के लिए सिविल हॉस्पिटल में डेडीकेटिड वार्ड व बेड भी आरक्षित रखे जाएंगें. विज आज यहां राष्ट्रीय वेक्टरजनित बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम, हरियाणा के संबंध में एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बैठक में हरियाणा स्वास्थय एंव परिवार कल्याण विभाग (Haryana Health and Family Welfare Department) के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा उपस्थित थे.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हरियाणा से मलेरिया को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाये गए (Malaria ends in Haryana) हैं. इसके तहत साल 2021 के दौरान सात जिलों नामतः अंबाला, भिवानी, जींद, कैथल, रोहतक, करनाल, कुरूक्षेत्र को ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ प्राप्त हुआ है. इसके अलावा, साल 2019 से लगातार तीन सालों से कैथल जिला को ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ और पिछले दो साल से अंबाला व जींद को ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ प्राप्त हुआ है.

राज्य के 331 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों ने ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ किया हासिल
साल 2021 के दौरान राज्य के 331 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों ने भी ‘ज़ीरो इंडीजीनियस केस स्टेटस’ हासिल किया है. बैठक में बताया गया कि इस साल 8 जुलाई तक मलेरिया के केवल पांच मामले आए हैं जबकि पिछले साल 8 जुलाई तक 10 मलेरिया के मामले थे. इसका मतलब ये है कि मलेरिया का प्रकोप नीचे जा रहा है. बैठक के दौरान 31 मार्च 2024 तक चार वेक्टरजनित बीमारियों जैसे कि मलेरिया, डेगूं, चिकनगुनिया, जापानी बुखार को अधिसूचित किया गया है. सभी सार्वजनिक/निजी अस्पतालों व प्रयोगशालाओं द्वारा इसकी जानकारी राज्य को देनी होगी.

केंद्र सरकार ने मलेरिया मुक्त मेवात अभियान की प्रशंसा
मलेरिया मुक्त मेवात अभियान (Malaria Free Mewat Campaign) की शुरूआत 4 सिंतबर, 2019 को हुई थी. इसके बाद 1 अप्रैल, 2021 इसके दूसरे अभियान की शुरूआत की गई जिसके तहत व्यापक स्तर पर स्क्रीनिंग की गई. बैठक में बताया गया कि पहले अभियान के तहत उजीना, सुडाका, बाई और नूंह जैसे हाई रिस्क क्षेत्रों में 1.34 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 252 मलेरिया के पॉजीटिव मामले पाये गये. इसी प्रकार, दूसरे अभियान के दौरान उजीना, सुडाका और बाई में 71 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसके अंतर्गत मलेरिया का कोई भी मामला सामने नहीं आया. इस अभियान की केन्द्र सरकार द्वारा भी प्रंशसा की गई है. मीटिंग में इस बात की भी जानकारी दी गई कि साल 2019-2020 में मच्छरों के काटने व उनके फैलने को नियंत्रित करने के लिए हाई रिस्क गांवों में लगभग 4.86 लाख इनसेक्टीसीडल बेड नेटस वितरित किये गये.

राज्य में 27 डेगूं टेस्टिंग लैब संचालित
बैठक के दौरान डेगूं के बारे में बताया गया कि राज्य में 27 डेगूं टेस्टिंग लैब संचालित हैं जिसके अंतर्गत प्रत्येक जिले में एक लैब स्थापित की गई है. इसके अलावा, निजी अस्पतालों और लैब को डेगूं टेस्ट के लिए अधिकतम 600 रूपये लेने के लिए सीमित किया गया है. बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य के नागरिक अस्पतालों में भर्ती डेगूं के मरीजों के लिए सिंगल डोनर प्लेटलेटस निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रावधान है जिसके अंतर्गत साल 2021 के दौरान 131 डेगूं मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेटस निःशुल्क उपलब्ध करवाये गये. जबकि इससे पिछले सालों में आठ हजार पांच सौ रूपये प्रति यूनिट शुल्क लिया जाता था.

बैठक में यह भी बताया गया कि आपात स्थिति के दौरान सिविल हॉस्पिटल में भर्ती डेगूं व चिकनगुलिया के मरीजों हेतु निजी अस्पतालों से सिंगल डोनर प्लेटलेटस की व्यवस्था की जाती है तो 11 हजार रूपये की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाती है. बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य के पांच जिलों पंचकुला, गुरूग्राम, रोहतक, करनाल व सोनीपत में सिंगल डोनर प्लेटलेटस की सरकारी अफेरेसिस सुविधा उपलब्ध है जिन्हें सभी जिलों के साथ मैप किया गया है.

प्रदेश के सात हजार 169 तालाबों व जोहड़ों में गंबूज़िया मछलियों को छोड़ा
बैठक में यह भी बताया गया कि बुखार की जांच, मच्छर के लारवा की उत्पति, इत्यादि गतिविधियों को घर-घर जाकर टीमों द्वारा जांच किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त, लारवा को समाप्त करने के लिए राज्य में संचालित 112 फिश हेचरीज संचालित हैं जिसके अंतर्गत 7169 तालाबों व जोहड़ों में गंबूज़िया मछलियों को छोड़ा गया है जो लारवा को खा जाती है.

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