हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

किलोमीटर स्कीम विवाद बनेगा चुनावी मुद्दा! रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने विपक्षी दलों से की ये मांग

रोडवेज यूनियन प्रदेश में हर राजनीतिक दल से बीजेपी सरकार द्वारा लाई गई किलोमीटर स्कीम को हटाने की मांग करेगी. इसके साथ ही जो उनकी मांगों को मानेगा रोडवेज कर्मचारी उस दल का साथ देगा. जानें और क्या है रोडवेज यूनियन की मांग

रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने विपक्षी दलों से की मांग

By

Published : Sep 22, 2019, 8:32 AM IST

चंडीगढ़ःहरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति पार्टियां ही नहीं हरियाणा रोडवेज यूनियन ने भी एक रणनीति तैयार की है. इस रणनीति के तहत रोडवेज यूनियन प्रदेश में हर राजनीतिक दल से बीजेपी सरकार द्वारा लाई गई किलोमीटर स्कीम को हटाने की मांग करेगी. इसके साथ ही जो उनकी मांगों को मानेगा रोडवेज कर्मचारी उस दल का साथ देंगे.

'घोषणा पत्र में करवाएंगे शामिल'
हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के महासचिव बलवान सिंह दोदवा ने बताया कि ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन हरियाणा सरकार द्वारा लागू की गई किलोमीटर स्कीम को रद्द करवाने के लिए प्रत्येक विपक्षी दल को ज्ञापन सौंपेंगी. इसके अलावा विपक्षी दलों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग करेगी.

खुद ही सुनिए क्या कहना है हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के महासचिव

'जो मानेगा बात उसको देंगे साथ'
यूनियन ने ये भी ऐलान किया है कि जो भी राजनीतिक पार्टी किलोमीटर स्कीम रद्द करके परिवहन विभाग में सरकारी बसें लाने का मुद्दा अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी. हरियाणा रोडवेज के कर्मचारी उस पार्टी का पूर्ण रूप से समर्थन करेंगे. यही नहीं उन्होंने कहा कि अगर कोई भी विपक्षी दल आज हमारा साथ देगा और हमारी आवाज को जनता के बीच उठाएगा, हम उसी का साथ देंगे.

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस मेनिफेस्टो की पहली बैठक आज, हरियाणा के लिए क्या होंगे चुनावी वादे?

BJP सरकार पर लगाए आरोप
बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए दोदवा ने बताया कि खट्टर सरकार ने अपने निजी चहेते बड़े ट्रांसपोर्टरों को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए गुपचुप तरीके से सांठगांठ करके भारी भरकम रेटों पर किलोमीटर स्कीम के तहत 510 बसें लेने का एग्रीमेंट किया था. रोडवेज यूनियनों ने इसमें भारी घोटाले की आशंका जाहिर करते हुए विरोध स्वरूप एक लम्बी हड़ताल की थी.

'ट्रासपोर्टरों के साथ थी बड़ी डील'
गौरतलब है कि रोडवेज यूनियन ने किलोमीटर स्कीम में हुए घोटाले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने की मांग की थी ताकि असलियत सामने आ सके. रोडवेज वर्कर्स यूनियन के महासचिव बलवान सिंह दोदवा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए विजिलेंस से जांच करवाई.

जिसमें एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ, लेकिन बड़े मजे की बात है कि इतना बड़ा घोटाला उजागर होने के बावजूद भी सरकार किलोमीटर स्कीम रद्द करने पर सहमत नहीं हुई. उन्होंने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार की ट्रांसपोर्टरों के साथ एक बड़ी डील थी.

सभी राजनीतिक दलों से करेंगे मांग
यूनियन के महासचिव बलवान सिंह दोदवा ने कहा कि किलोमीटर स्कीम के तहत ली जाने वाली बसें परिवहन विभाग में निजीकरण की एक नई शुरुआत थी. जो विभाग, कर्मचारी और जनता तीनों के लिए भारी घातक है. इससे जहां विभाग को भारी आर्थिक नुकसान होगा.

वहीं प्रदेश में बेरोजगारी को बढ़ावा मिलेगा और प्रदेश की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इसलिए यूनियन सभी राजनीतिक दलों से किलोमीटर स्कीम को पूर्ण रूप से रद्द करने की मांग करेगी.

ये भी पढ़ेंःविधानसभा चुनाव में इस बार 1 करोड़ 82 लाख 98 हजार 714 मतदाता डालेंगे वोट, 38 हजार EVM का होगा इस्तेमाल

ये घोटाला कैसे हुआ?
आरोप लगाया गया कि इस स्कीम को लेकर जो टेंडर जारी किए गए थे. वो अधिकारियों ने मिलीभगत करके अपने ही लोगों को दिलाए. टेंडर ऑनलाइन जारी किए गए थे, जैसे ही अधिकारियों के खास लोगों ने ऑनलाइन बोली लगाई, तुरंत टेंडर उन्हें जारी करके वेबसाइट को स्लो करने के बाद बंद कर दिया गया. इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि जिस विभाग में एक फाइल पर साइन करने में महीनों लगते थे. वहां एक दिन में ही टेंडर की फाइल अधिकारी से लेकर सीएम तक ने पास कर दी.

मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पहुंचा. घोटाले को लेकर विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट पेश की तो सरकार ने 510 बसों के टेंडर को रद्द करने का फैसला लिया. इस मामले में अभी तक कई छोटे अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है, लेकिन इंतजार इस बात का है कि ऊंचे ओहदे पर बैठे लोगों पर कब और किस तरह की कार्रवाई होती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details