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हरियाणा में 12 साल में 2 गुना घटा जलस्तर, अब धान लगाने को लेकर सरकार और किसान आमने-सामने

सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत नाम की योजना बनाई है. इस योजना के तहत सरकार किसानों से धान की फसल ना लगाने की अपील कर रही है. हरियाणा सरकार वर्तमान सीजन में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बुआई करने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देगी. किसान सरकार के इस फैसले को लेकर लामबंद हो गए हैं.

haryana farmers protest
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Published : May 27, 2020, 9:13 AM IST

Updated : May 27, 2020, 1:22 PM IST

चंडीगढ़: इन दिनों हरियाणा के किसानों पर धान की खेती का संकट मंडरा रहा है. एक तो लॉकडाउन. दूसरा मजदूरों का पलायन और तीसरी सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत योजना. इस तिहरी मार के बीच अब प्रदेश के किसान और सरकार डार्क जोन को लेकर आमने-सामने खड़े हैं. एक तरफ सरकार किसानों से धान ना लगाने की अपील कर रही है तो दूसरी तरफ किसान सरकार के इस फैसले को तानाशाही करार दे रहे हैं.

दरअसल सूबे में तेजी से गिरता जलस्तर गंभीर समस्या बनता जा रहा है. गिरते जलस्तर को कम करने के लिए सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत नाम की योजना बनाई है. इस योजना के तहत सरकार किसानों से धान की फसल ना लगाने की अपील कर रही है. हरियाणा सरकार वर्तमान सीजन में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बुआई करने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देगी. किसान सरकार के इस फैसले को लेकर लामबंद हो गए हैं.

अब धान लगाने को लेकर सरकार और किसान आमने-सामने

सरकार के मुताबिक प्रदेश में 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां 12 सालों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दोगुनी हुई है. 40 मीटर से ज्यादा गहराई वाले 19 ब्लॉक हैं, 11 ब्लॉक ऐसे हैं, जिसमें धान की फसल नहीं होती. 8 ब्लॉक रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद और सिरसा ऐसे हैं जहां भू-जल स्तर की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है और वहां धान की बिजाई होती है, ऐसे ही क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किया गया है. किसानों में सरकार के इस फैसले के खिलाफ रोष देखने को मिल रहा है.

सरकार के मुताबिक पंचायती जमीन जो ठेके पर दी जाती है अगर वहां 35 मीटर तक पानी की गहराई है तो वहां भी धान की खेती नहीं होगी. सरकार ने ऐसे 5 ब्लॉक को चिह्नित किया है. इनमें पिहोवा, जाखल, पटौदी, थानेसर और फतेहाबाद हैं. ऐसे में किसानों का कहना है कि ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि बारिश में दाल और कपास की खेती नहीं की जा सकती. बारिश में दोनों ही फसलें खराब हो जाती है. मॉनसून के दिनों में खेतों में कई-कई दिन पानी खड़ा रहता है. ऐसे में मक्का, दाल या फिर कपास की खेती ऐसे वक्त में नहीं हो सकती.

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बता दें कि राज्य भू-जल बोर्ड ने केंद्रीय भू-जल बोर्ड के सामने डार्क जोन को कम या खत्म करने की सिफारिश की है. फिलहाल प्रदेश में भू-जल स्तर औसतन 21 मीटर तक नीचे जा चुका है. जून 1974 में प्रदेश का भू-जल स्तर 10.44 मीटर था, जून 1995 में ये 11.74, जून 2008 में 15.41 और जून-2019 में 20.71 मीटर हो गया. पिछले 24 साल में वर्ष 1995 से 2019 तक प्रदेश का भू-जल स्तर 8.97 मीटर नीचे गया है. 11 साल में ये 5.14 मीटर नीचे गया. साल 2018-19 में प्रदेश का भू-जल स्तर 0.40 मीटर तक नीचे गया है. जहां साल 2018 के जून में प्रदेश का औसतन भू-जल स्तर 20.34 मीटर था, वो अब जून 2019 में 20.71 हो गया है.

क्या है मेरा पानी मेरी विरासत योजना?

  • जिन क्षेत्रों में पानी की गहराई ज्यादा है वहां किसान धान ना बोएं
  • धान छोड़ने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ राशि दी जाएगी
  • धान की जगह मक्का, दालें भी बोई जा सकती हैं
  • कई इलाकों में कपास और सब्जियों समेत तिल की खेती हो सकती है
  • मक्का और दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी
  • मक्का बिजाई में इस्तेमाल होने वाली मशीने सरकार उपलब्ध करवाएगी
  • सरकार मक्का ड्रायर की व्यवस्था मंडियों में करवाएगी
  • धान की वैकल्पिक फसले उगाने, ड्रिप सिंचाई पर 85 प्रतिशत की सब्सिडी
  • 35 मीटर तक गहराई वाले स्थानों पर किसान धान की अनुमति ले सकते हैं
  • अच्छे जल स्तर वाले इलाके के किसान धान की फसल छोड़ने पर ले सकेंगे अनुदान

सरकार के मुताबिक:

  • हरियाणा में 36 जोन ऐसे हैं जहां पानी की गहराई 12 साल में 2 गुना नीचे गई है
  • पहले चरण में ऐसे ब्लॉक लिए गए हैं जहां 40 मीटर से ज्यादा गहराई है
  • हरियाणा में 19 ब्लॉक ऐसे हैं जहां 40 मीटर से ज्यादा गहराई है
  • दक्षिण हरियाणा के 11 ब्लॉक ऐसे हैं जहां धान की बुआई नहीं होती
  • 8 ब्लॉक में पानी 40 मीटर से गहरा है और धान की बिजाई होती है
  • सीएम मनोहर लाल ने कहा कि 8 ब्लॉक कैथल का सीवन और गुलहा, फतेहाबाद में रतिया और सिरसा शामिल हैं.
  • कुरुक्षेत्र का शाहाबाद, इस्माइलाबाद, पिपली और बाबैण भी 40 मीटर से ज्यादा गहराई वाले जोन में शामिल हैं
  • पंचायत की ठेके वाली जमीन जहां पर वाटर लेवल 35 मीटर तक है. वहां धान की बिजाई वर्जित रहेगी
  • इसमें 5 ब्लॉक हैं, कुरुक्षेत्र जिले का पिहोवा, थानेसर, फतेहाबाद और जाखल, गुरुग्राम का पटौदी शामिल हैं.

सरकार ने कहा कि पानी के सही स्तर वाले इलाकों में जहां ट्यूबवेल की मोटर की पॉवर का लोड 50 हॉर्स पॉवर से ऊपर है. वहां किसान पहले के मुकाबले 50 प्रतिशत धान की बुआई करें. जहां 50 प्रतिशत धान की बुआई नहीं होगी. वहां मक्का, दालें भी बोई जा सकती हैं. कई इलाकों में कपास और सब्जियों समेत तिल की खेती हो सकती हैं. ऐसे किसानों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा.

भू-जल की स्थिति और जल विभाग के आंकडों के मुताबिक हरियाणा में साल 1995 से 2018 के बीच करीब 8.21 मीटर जल स्तर गिरा है. नीचे देखें साल 1995 से साल 2018 के बीच कितना गिरा जल स्तर (मीटर में).

जिला जून 1995 में भू-जल स्तर जून 2018 में भू-जल स्तर 1995 से 2018 तक गिरा भू-जल स्तर
अंबाला 8.30 11.44 -3.14
भिवानी 18.29 24.19 -5.90
फरीदाबाद 9.93 18.57 -8.64
फतेहाबाद 9.18 29.78 -20.60
गुरुग्राम 15.21 26.88 -11.67
हिसार 8.92 8.08 0.84
जींद 9.11 14.33 -5.22
झज्जर 6.01 5.24 0.77
कुरुक्षेत्र 16.50 39.11 -22.61
कैथल 8.89 29.33 -20.44
करनाल 10.65 19.13 -8.48
महेंद्रगढ़ 29.11 48.54 -19.43
मेवात 9.04 11.33 -2.29
पलवल 7.56 11.09 -3.53
पानीपत 9.83 21.17 -11.34
पंचकूला 14.11 17.63 -3.52
रोहतक 5.94 4.22 1.72
रेवाड़ी 15.81 27.31 -11.50
सोनीपत 6.73 10.23 -3.50
सिरसा 10.73 20.71 -9.98
यमुनानगर 8.77 12.7 -3.93
कुल 11.36 19.57 -8.21
Last Updated : May 27, 2020, 1:22 PM IST

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