चंडीगढ़: केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना काल से बाहर निकालने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. जिसको लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका लेखा-जोखा पेश किया. ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में अर्थशास्त्र के जानकार विमल अंजुम ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही देश के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज जारी किया, तो लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें कोई ना कोई राहत मिलेगी.
उन्होंने कहा कि राहत पैकेज से अर्थशास्त्रियों को भी उम्मीद थी कि सरकार इसको लेकर कोई ना कोई अपना रोड मैप बताएगी. पहले दिन की प्रेस वार्ता में सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को लेकर खास तौर पर जोर दिया. जिसमें 5 लाख 94 हजार करोड़ से अधिक इस सेक्टर को देने की बात कही गई. जिससे लगा था कि इस क्षेत्र में जरूर कुछ ना कुछ होगा और वो उम्मीद कर रहे थे कि अगले दिन उसको लेकर सरकार अपना रोडमैप बताएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
विमल अंजुम ने कहा कि अगले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्रों से जुड़े कुछ अन्य पहलुओं को लेकर बात की और इसके लिए 3 लाख 10 हजार करोड़ के पैकेज की जानकारी दी. उन्होंने लिक्विडिटी बढ़ाने की बात की. नबार्ड को पैसे देने की बात की, किसान क्रेडिट कार्ड की बात की गई और किसान को ₹2000 देने की बात कही गई.
तीसरे दिन की प्रेस वार्ता में उन्होंने कृषि क्षेत्र की बात की. जिसमें 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही गई. जो कि सारे देश के लिए था. एक तरफ सरकार एमएसएमई के लिए 5 लाख 94 हजार करोड़ से अधिक खर्चे की बात कर रही है, वहीं कृषि क्षेत्र के लिए मात्र 1 लाख 50 हजार करोड़ खर्च करने की बात कर रही है. जो हैरान करने वाली बात है.